Kisan Aandolan: किसान आंदोलन को लेकर सरकार और आंदोलनकारियों के बीच गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद स्थिति में और अधिक 'जड़ता' की स्थिति आई है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को मन की बात में कहा था कि गणतंत्र दिवस (Republic day Tractor Rally) पर तिरंगे के अपमान से पूरा देश दु:खी है. इससे एक दिन पहले सर्वदलीय बैठक में उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी सरकार (कृषि मंत्री) किसानों से बस एक ‘फोन कॉल' दूर है और इस मसले का हल बातचीत के जरिये ही निकाला जा सकता है. हालांकि किसानों की सरकार के साथ अगली बैठक 2 फरवरी को है लेकिन जिस तरह दोनों पक्ष अपने रुख पर अडिग हैं, उससे समाधान निकलने की संभावना बेहद कम है.
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बातचीत के जरिये ही मसले का हल निकलने संबंधी पीएम के बयान पर कृषि कानूनों के (Farm laws) खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे टिकैत भाइयों राकेश और नरेश टिकैत ने रविवार को कहा कि किसान, प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे, लेकिन वे आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि कृषि कानूनों का मुद्दा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए भारी पड़ सकता है. किसानों के प्रदर्शन का पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति पर क्या कोई असर पड़ेगा, इस सवाल पर भाकियू के अध्यक्ष और बड़े भाई नरेश टिकैत ने कहा, ‘‘वे किसी को भी वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं. हम उनसे किसी पार्टी विशेष के लिए वोटिंग करने को नहीं कह सकते. अगर किसी पार्टी ने उन्हें आहत किया है तो वे उसे सत्ता में वापस क्यों लाएंगे?''
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टिकैत बंधुओं ने कहा कि वे ‘बीच का रास्ता' निकालने के लिए सरकार के साथ बातचीत को तैयार हैं. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के कुछ दिन बाद शनिवार को कहा था कि प्रदर्शनकारी किसानों के लिए उनकी सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है और सरकार बातचीत से महज ‘‘एक फोन कॉल'' दूर है. राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे. किसान नहीं चाहते कि सरकार या संसद उनके आगे झुकें.'' हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि किसानों के आत्म-सम्मान की रक्षा हो.''
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