किसानों का विजय मार्च आज, 15 महीने के संघर्ष के बाद 'जीतकर' लौट रहे घर

तीन कानूनों को रद्द करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद, किसान अन्य मांगों का हवाला देते हुए विरोध स्थलों पर रुके हुए थे.

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15 महीनों के आंदोलन के बाद आज अपने घरों को लौटेंगे किसान.

नई दिल्ली:

दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर 15 महीनों से डेरा डाले हुए किसान शनिवार आज आंदोलन खत्म करके पंजाब और हरियाणा में अपने घरों को लौटेंगे. इसे दौरान वे विजय मार्च निकालेंगे. किसानों के आंदोलन ने केंद्र सरकार को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था. आंदोलन खत्म होने के बाद किसान अब प्रदर्शनस्थल से अपने अस्थाई आवास हटा रहे हैं. आंदोलन को दौरान किसानों को कभी 'आतंकी' तो कभी 'खालिस्तानी' तक करार दिया गया, लेकिन किसानों ने अपना हौसला नहीं खोया और सरकार को उनके सामने कानून वापस लेने को सरकार को मजबूर होना पड़ा.

बताया जा रहा है कि ट्रैक्टरों पर घर जाने वाले किसानों को बधाई देने के लिए हाइवे के किनारे विशेष व्यवस्था की गई है.

शुरुआत में विजय मार्च की योजना शुक्रवार के लिए बनाई गई थी, लेकिन तमिलनाडु में हेलिकॉप्टर दुर्घटना के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत सहित 13 लोग मारे गए थे.

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तीन कानूनों को रद्द करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद, किसान अन्य मांगों का हवाला देते हुए विरोध स्थलों पर रुके हुए थे, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी और विरोध करने वाले किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेना शामिल था.

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आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय समिति को बाकि मांगों पर केंद्र द्वारा लिखित प्रस्ताव भेजे जाने के बाद ही किसानों ने वापस लौटने के अपने फैसले का ऐलान किया.

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केंद्र एमएसपी मुद्दे पर फैसला करने के लिए एक समिति बनाने पर सहमत हो गया है. समिति में सरकारी अधिकारी, कृषि विशेषज्ञ और किसान मोर्चा के प्रतिनिधि शामिल होंगे. सरकार किसानों के खिलाफ सभी पुलिस केस रद्द करने के लिए भी सहमत हो गई है, ये मामले हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज किए थे. 

किसान मोर्चा द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई 700 किसानों की मौत के मुआवजे की मांग पर केंद्र ने कहा है कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है और पंजाब पहले ही घोषणा कर चुका है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बाकि मुद्दों पर चर्चा के लिए किसान नेताओं से फोन पर बात करने के बाद केंद्र का प्रस्ताव आया था.

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