Farmer Protest UPDATE: तीन नए कृषि कानून (Farm Law 2020) के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन (Farmer Protest) आज 70वें दिन में प्रवेश कर चुका है. दिल्ली की सभी सीमाओं (Delhi Border) पर जहां किसान अपनी मांगों के साथ डटे हुए हैं तो वहीं सीमा की दूसरी ओर सीमेंट के बैरिकेड, नुकीले कील और तार बिछाए गए हैं. भारी संख्या पुलिस कर्मियों की भी तैनाती की गई है. बुधवार को राज्यसभा में कृषि कानून और किसान आंदोलन को लेकर जमकर बहस हुई. विपक्ष के नेता गुलाब नबी आजाद ने सरकार से इस कानून को वापस लेने की अपील की. वहीं सपा सांदस रामगोपाल यादव ने किसानों की बात नहीं सुने जाने पर नाराजगी जाहिर की है. वहीं दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत आज हरियाणा के जींद जिले में किसानों की महापंचायत में शामिल होने पहुंचे. महापंचायत में भारी संख्या में किसान पहुंचे हैं.
Farmer Protest UPDATE in Hindi:
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने ट्वीट करके कहा, ''कोई भी दुष्प्रचार भारत की एकता को खत्म नहीं कर सकता. कोई भी दुष्प्रचार भारत को नई ऊंचाई हासिल करने से नहीं रोक सकता. दुष्प्रचार भारत का भविष्य तय कर सकते केवल विकास कर सकता है. भारत विकास के लिए एकजुट खड़ा हुआ है.'' इससे पहले पॉप स्टार रिहाना ने किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में ट्वीट में लिखा था, "हम किसानों की बात क्यों नहीं कर रहे. #FarmersProtest.
आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) ने बुधवार को कहा कि ''सिंघु, टीकरी, गाजीपुर बॉर्डर बीजेपी के राज में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चीन और पाकिस्तान की सीमा हो गई हैं. वहां पर कील गाड़ी गई हैं, सीमेंट की दीवार खड़ी कर दी गई है. पिछले 75 दिन से किसान आंदोलन (Farmers Movement) पर हैं. 80 साल के किसान को जेल में डाल दिया. इस सरकार में रहम नाम की चीज़ नहीं बची. आज आम आदमी पार्टी ने अकेले देश के सर्वोच्च सदन में किसानों के मुद्दे को उठाया और कहा कि पहले किसानों के मुद्दे पर चर्चा कीजिए और इस बिल को वापस लीजिए.''
विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग दोहराते हुए बुधवार को लोकसभा में कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव से पहले किसानों के मुद्दे पर अलग से चर्चा कराने की मांग को लेकर भारी हंगामा किया. विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण निचले सदन की बैठक तीन बार के स्थगन के बाद शाम सात बजे रात्रि 9 बजे तक के लिये स्थगित कर दी गई.
राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने विवादों में घिरे तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को लेकर सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि उसे इस विषय को ''प्रतिष्ठा का प्रश्न'' नहीं बनाकर इन कानूनों को वापस लेना चाहिए. हालांकि सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि बातचीत के द्वार खुले हुए हैं तथा इन कानूनों का लाभ छोटे किसानों को मिलना शुरू हो गया है.
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर पुलिस द्वारा बहु-स्तरीय अवरोधक लगाए जाने की बुधवार को निंदा की. उन्होंने नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए ट्विटर पर लिखा कि किसानों के प्रदर्शन स्थलों के आसपास कंटीले तार और पक्के अवरोधक लगाए जाने से हर कोई स्तब्ध है. इस तरह के दृश्य से कश्मीर के लोग अच्छी तरह परिचित हैं.
कांग्रेस (Congress) के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आंदोलनकारी किसानों (Farmers) को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए मोदी सरकार (Modi Government) की ओर से किए गए उपायों को लेकर बुधवार को कहा कि सरकार किलाबंदी क्यों कर रही है? क्या सरकार किसानों से डरती है? राहुल गांधी ने कहा कि किसान देश की ताक़त हैं. सरकार का काम इनसे बात कर समस्या को सुलझाने का है, डराने का नहीं है. किसान पीछे नहीं हटेंगे. सरकार को ही पीछे हटना पड़ेगा. बेहतर है आप हट जाएं.
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत की मौजूदगी में बुधवार को जींद के कंडेला गांव में हुई महापंचायत में केंद्र सरकार से तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की गई. नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में हुई 'महापंचायत' के दौरान वह मंच भी टूट गया जिस पर वक्ता बैठे हुए थे.
केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में मार्च के लिए बुधवार को दिल्ली में मंडी हाउस में कई छात्र एवं महिला संगठनों के कार्यकर्ता और अन्य लोग जमा हुए.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि केंद्र प्रदर्शनकारी किसानों के साथ किसी तरह की अनौपचारिक वार्ता नहीं कर रहा है. उन्होंने प्रदर्शन स्थल के आसपास अवरोधक मजबूत किए जाने तथा इंटरनेट पर रोक लगाने को स्थानीय प्रशासन से संबंधित कानून-व्यवस्था का मुद्दा बताया.
दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा में राजनीतिज्ञों, पत्रकारों पर राजद्रोह के मुकदमे दर्ज होने पर विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि देश में राजनीतिज्ञों, पत्रकारों के खिलाफ संगीन धाराओं में मामले दर्ज हो रहे हैं. राजदीप सरदेसाई, शशि थरूर, विनोद पांडे और मनदीप पूनिया पर एक से ज्यादा जगहों पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. बकौल दिग्विजय सिंह, मैं मांग करता हूं कि यह मामले वापस लिए जाएं. यह एक षड्यंत्र है.