किसान Vs कृषि मंत्री: आंदोलनकारी विरोध पर अड़े, मंत्री ने दी 'राजनीति' न करने की चेतावनी

मंगलवार को किसानों (Delhi Farmer Protest) की दिल्ली कूच की कोशिश असफल हो गई तो वह आज एक बार फिर से राजधानी में प्रवेश की कोशिश में जुटे हुए हैं. किसानों की भारी भीड़ दिल्ली से सटे बॉर्डरों पर डंटे हुए हैं.

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कृषि मंत्री की किसान नेताओं को चेतावनी.

नई दिल्ली:

किसानों के दिल्ली चलो मार्च का आज दूसरा दिन है. केंद्र और किसान नेता दोनों ही अपनी-अपनी जिद पर अड़े रहे, जिसकी वजह से किसानों की मांगों का कोई समाधान नहीं निकल सका, जिसके बाद किसानों ने आंदोलन (Kisan Andolan) करने का फैसला लिया. इस केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसानों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनकी विरोध की वजह से आम आदमी को तोई भी परेशानी न हो. वहीं किसानों के विरोध प्रदर्शन की वजह से दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बलों को कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. 

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जल्दबाजी में नहीं ले सकते फैसला- कृषि मंत्री 

केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने आज सुबह मीडिया से बातचीत में कहा कि किसान यूनियनों को यह समझने की जरूरत है कि जल्दबाजी में ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया जा सकता है, जिसकी भविष्य में आलोचना हो. उन्होंने कहा, "हमें सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर इस पर चर्चा करनी चाहिए. किसानों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि आम जन जीवन बाधित न हो. मुझे लगता है कि आम आदमी के लिए असुविधा पैदा करने जैसे किसी भी कदम से कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है. मैं उनसे बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाए रखने की अपील करता हूं. '' कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र किसान यूनियनों के साथ रचनात्मक बातचीत जारी रखेगा. 

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"किसी को परेशानी न हो, इसका रखें ध्यान"

कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि देश में किसी को कठिनाई नहीं हो, इसकी चिंता सबको करनी चाहिए. उनका सभी किसान संगठनों से यही अनुरोध है कि किसी भी समस्या का समाधान बातचीत के जरिए हो सकता है. उन्होंने कहा कि हमें समर्थन और समाधान की दृष्टि से ये सोच रखनी चाहिए कि किसी को समस्या न हो. अर्जुन मुंडा ने कहा कि वह खुद पंजाब में जाकर मिले, मंत्रालय लगातार किसानों के हित में काम कर रहे हैं. किसान हमारे अन्नदाता उनकी सभी बातों का स्वागत है. 

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किसानों की दिल्ली कूच की कोशिश

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह किसान संघों से भी अपील करते हैं कि वह राजनीति से प्रभावित न हों, सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. बता दें कि हजारों किसान विरोध-प्रदर्शन जताते हुए राजधानी दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं. उनकी मांग ऐसे कानून की है, जिसके तहत सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), कर्ज माफी और पेंशन योजना समेत अन्य लाभों की गारंटी मिलना है. सरकार के प्रतिनिधियों और किसान नेताओं के बीच कई दौर की बैठकों के बाद भी इस पर सहमति नहीं बन सकी. 

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किसानों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग, कंक्रीट की दीवार

मंगलवार को किसानों की दिल्ली कूच की कोशिश असफल हो गई तो वह आज एक बार फिर से राजधानी में प्रवेश की कोशिश में जुटे हुए हैं. किसानों की भारी भीड़ दिल्ली से सटे बॉर्डरों पर डंटे हुए हैं. वहीं पुलिस ने भी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया है. किसानों के दिल्ली मार्च को हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर ही रोक दिया गया है, सुरक्षा बल उन्हें आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने एक महीने के लिए निषेधाज्ञा लागू कर दी है और किसानों के मार्च को रोकने के लिए सीमेंट बैरियर, टायर डिफ्लेटर और सैंडबैग लगा दिए हैं.  कल, किसानों को रोकने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने  आंसू गैस के गोले और पानी की बौछारें कीं, जिससे कई लोग घायल हो गए. 

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विरोध हमारा अधिकार-किसान नेता

किसानों पर बल प्रयोग से नाराज किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने आज मीडिया से कहा कि पहली बार किसानों के खिलाफ अर्धसैनिक बलों का इस्तेमाल किया गया है. उन्होंने कहा, "वे आंसू गैस, रबर की गोलियों का इस्तेमाल कर रहे हैं. सरकार को हमारी मांगें माननी चाहिए या हमें विरोध करने देना चाहिए. यह हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है, हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण है और हम जीतेंगे."