पंजाब के संगरूर जिला निवासी किसान सुखविंदर सिंह सुखी गिर इन दिनों सुर्खियों में हैं. अपने 'सपनों का घर' बचाने के लिए उन्होंने जो तरकीब अपनाई, उसकी हर ओर चर्चा हो रही है. दरअसल, उनका घर दिल्ली-जम्मू-कटरा एक्सप्रेस वे के रास्ते में आ रहा था. ऐसे में एक करोड़ से अधिक की लागत से बना उनका घर ना टूटे इसके लिए जुगाड़ टेक्नोलॉजी लगा कर उन्होंने घर को 500 फीट दूर दूसरी जगह शिफ्ट करवा दिया. ऐसे में उनका घर भी बच गया और सराकरी योजना में भी कोई अड़चन नहीं आई.
संगरूर के रोशन वाला गांव के नजदीक से भारत माला प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली-कटरा-जम्मू एक्सप्रेस वे गुजर रहा है, जिसके लिए किसानों की जमीन एक्वायर की गई है. काम जारी है. किसान सुखविंदर सिंह की ढाई एकड़ जमीन एक्सप्रेस वे के दायरे में आ गई. लेकिन उन्होंने अपने खेत में ही अपना घर बनाया हुआ है. साथ ही उन्होंने वहां गेहूं और धान का बीज तैयार करने की छोटी फैक्ट्री भी लगाई है. ऐसे में जब जमीन अधिग्रहण की शुरूआत हुई तो उन्होंने फैक्ट्री वहां से हटा ली, लेकिन वे घर वहां से हटाने के पक्ष में नहीं थे.
सुखविंदर सिंह बताते हैं कि उन्होंने सवा करोड़ रुपये की लागत से अपने सपनों का महल दो सालों में बनवाया था. 2019 में घर बनकर तैयार हुआ. अपने भाई के साथ वो इसी घर में रहते हैं. लेकिन घर सरकारी योजना के बीच आ गई. अब अगर दोबारा घर बनाते तो काफी खर्च आता और समय भी बर्बाद होता. ऐसे में उन्होंने सोचा कि जब लिफ्टिंग टेक्नोलॉजी से घर को उठा सकते हैं तो शिफ्ट क्यों नहीं कर सकते. फिर उन्होंने संबंधित लोगों से संपर्क किया और काम शुरू कराया.
कारीगरों ने 2 महीने में घर को कड़ी मेहनत और देसी जुगाड़ से बिना किसी नुकसान के 250 फीट से ज्यादा शिफ्ट कर दिया है. अभी इसे और 250 फीट शिफ्ट होना है. फिर उसे 60 फीट के करीब दूसरी ओर मोड़ा जाएगा. इस काम में 40 लाख रुपए के करीब खर्च आएगा.
वहीं, घर को शिफ्ट कर रहे मोहम्मद शाहिद ने कहा कि इस घर को दूसरी जगह मूव करना एक चैलेंज था. वो बिल्डिंग को लिफ्ट करने का काम करते हैं. इस प्रक्रिया के तहत बिल्डिंग को कई फीट तक ऊंचा उठाया जाता है. लेकिन ये चैलेंज उनके लिए बहुत बड़ा था क्योंकि इस बार उन्हें घर को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना था. वह भी 500 फीट से ज्यादा. अब हर दिन घर 10 फीट आगे बढ़ता है. यह काम बहुत ही सावधानी और बारीकी के साथ करना पड़ रहा है.
उन्होंने बताया कि ये पूरा काम गाड़ी उठाने वाला जो जैक होता है, उसकी मदद से किया जाता है. सभी लोगों को एक कोड दिया जाता है और एक ही साथ उनको आगे किया जाता है. पंजाब में ये हमारा पहला प्रोजेक्ट है.
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