नए कृषि कानूनों (New agricultural laws) का विरोध करने वाले किसान इन दिनों सिंघू बॉर्डर (Singhu border protest) पर अपने ठिकाने को मजबूत करने में लगे हुए हैं जबकि उनमें से कुछ अब प्रदर्शन स्थल पर पक्के मकानों का निर्माण कर रहे हैं. इससे पहले हाड़ कंपाने वाली सर्दियों और भारी बारिश का सामना कर चुके किसान अब दिल्ली की गर्मियों का सामना करने की तैयारी कर रहे हैं, जिसके लिए वे ईंटों के पक्के मकान बना रहे हैं. चालीस से अधिक किसान यूनियनों का संगठन ‘संयुक्त किसान मोर्चा' के परमजीत सिंह ने कहा, "गर्मियों की तैयारी के रूप में किसान व्यक्तिगत स्तर पर ईंटों के इन स्थायी संरचनाओं का निर्माण कर रहे हैं, ताकि वे पंखे, कूलर और एसी लगा सकें और मक्खियों और मच्छरों को दूर कर सकें."
कृषि कानून के विरोध का नया तरीका - खड़ी फसल को ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर रहे किसान
उन्होंने कहा कि मकानों की जरूरत इसलिए भी महसूस की गई क्योंकि ट्रैक्टर-ट्रॉलियां गर्मी के दिनों में जल्दी गर्म हो जाती हैं, जिनपर ज्यादातर किसानों ने सर्दियों में अपना डेरा डाला हुआ था. एसकेएम के एक अन्य सदस्य ने कहा कि यहां तक कि 100 दिन से अधिक का समय बीत चुका है और विरोध प्रदर्शन का कोई तात्कालिक हल नहीं निकला है. इससे सरकार में एक संदेश भी जाता है कि किसान लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं और अपनी मांग पूरी होने तक नहीं हटेंगे.
किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रही BJP, हम नहीं होने देंगे कामयाब- किसान संयुक्त मोर्चा
गौरतलब है कि हजारों किसान, जिनमें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, दिल्ली सीमा के सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर तीन महीने से अधिक समय से डेरा डाले हुए हैं, जो कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं.
Video: सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों ने बनाया बांस का घर, टीकरी बॉर्डर पर बने पक्के मकान