दिल्ली से सटे फरीदाबाद के सूरजकुंड के क़रीब अरावली के पहाड़ों में पड़ने वाले वाले खोड़ी गांव और आसपास के छोट-छोटे गांवों के सारे घर गिराए जा रहे हैं.यहां घरों को गिराने का काम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किया जा रहा है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ये सभी घर वन क्षेत्र में बने हैंल इसलिए इन्हें गिरा दिया जाए, लेकिन इस कदम के बाद लगभग 30,000 ग़रीब कोरोना काल में सड़कों पर आने वाले हैं. यहां रहने वाले ज़्यादातर लोग मज़दूर हैं, जिन पर लॉकडाउन की ज़बरदस्त मार पड़ी है.यहां रह रहे लोगों की मांग है कि उन्हें रहने की वैकल्पिक जगह मुहैया कराई जाए.
अरावली रेंज को नुकसान हुआ तो गंभीर परिणाम भुगतने को तैयार रहें : हरियाणा सरकार से सुप्रीम कोर्ट
बता दें कि इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि हरियाणा के अरावली क्षेत्र में निर्माण की इजाजत देने वाले संशोधित कानून के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को कड़ी चेतावनी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अरावली हिल्स या फॉरेस्ट एरिया को अगर कोई नुकसान हुआ तो हरियाणा सरकार गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि हरियाणा और फरीदाबाद नगर निगम को एक गांव के निकट अरावती वन से सभी अतिक्रमण जिसमें 10 हजार रिहाइशी निर्माण शामिल हैं हटाए जाएं. साथ ही ये भी कहा कि भूमि हथियाने वाले कानून के शासक का सहारा लेकर निष्पक्षता की बात नहीं कर सकते.
वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा ईश्वर से प्रार्थना है... तो जवाब में जज ने कही ये बात
जमीन हथियाने वालों का साथ दे रहे हैं : याचिकाकर्ताओं के वकील से सुप्रीम कोर्ट
पीठ से ये भी कहा अवैध तरीके से रह रहे लोगों के पास कोई और जगह नहीं है और राज्य को उन्हें हटाए जाने से पहले कहीं और बसाने के निर्देश दिए जांए. इस पर पीठ ने कहा कि भूमि हथियाने वाले निष्पक्ष सुनवाई के लिए कानून के शासन का सहारा नहीं ले सकते हैं. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि हटाए जाने के बाद तत्काल लोगों को बसाया जाना चाहिए. इस पर पीठ ने कहा कि ये कौन कह रहा है. जमीन हथियाने वाले. जब आप अदालत में आते हैं तो ईमानदार बन जाते हैं और कानून को मानने वाले बन जाते हैं और बाहर आप कोई काम कानून के हिसाब से नहीं करते.