- फरीद जकारिया के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेहरू के बाद भारत के सबसे प्रभावशाली नेता हैं
- मोदी के कुशल नेतृत्व के कारण भारत 6.5 प्रतिशत की दर से आर्थिक वृद्धि कर रहा है
- जकारिया ने कहा कि भारत और US के बीच व्यापारिक समझौता तभी संभव है जब दोनों पक्ष अपनी राजनीतिक सीमाओं को समझें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के सबसे प्रभावशाली नेता हैं. ऐसा कहना है कि अमेरिकी पत्रकार फरीद जकारिया का. फरीद जकारिया ने NDTV के एडिटर इन चीफ राहुल कंवल से खास बातचीत में पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व से लेकर भारत-अमेरिका के बीच रिश्तों पर भी अपनी बात रखी. इस खास बातचीत के दौरान फरीद जकारिया ने कहा कि लंबे समय तक देश सेवा करने वाले अधिकांश नेता एक दशक की सत्ता के बाद या तो अपना प्रभाव खो देते हैं या फिर लड़खड़ा जाते हैं. लेकिन पीएम मोदी के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ. वो आज भी बेहद प्रभावशाली हैं. पहले के समय में ऐसा देखा जाता था कि 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद नेता अपना प्रभाव खोने लगते हैं, जो आगे चलकर उनके पतन का कारण भी बनता है. लेकिन आप पीएम मोदी के साथ ऐसा नहीं देख सकते. इसकी एक सबसे बड़ी वजह पीएम पीएम मोदी का अनुशासन है. उन्होंने कहा कि इसकी दूसरी वजह कमजोर विपक्ष भी है. पीएम मोदी इतने लंबे शासन के बाद भी थके हुए नहीं लगते हैं.
इस खास बातचीत के दौरान फरीद जकारिया ने आगे कहा कि पीएम मोदी का नाम अब इतिहास में दर्ज हो चुका है. वो भारत के चंद प्रधानमंत्रियों में शामिल हो चुके हैं, जिन्होंने देश का नेतृत्व लंबे अर्से तक बेहद कुशलता के साथ किया. आज की तारीख में नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व के कारण ही भारत 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और वो विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है. आज बीजेपी एक सुसंगठित पार्टी है, चुनावों में बहुत मेहनत करती है. पीएम मोदी बाहरी-अंदरूनी की इस भूमिका को बहुत चतुराई से निभाने में सक्षम हैं.
आपको बता दें कि भारतीय मूल के अमेरिकी पत्रकार और लेखक फरीद ज़कारिया दुनिया के सबसे प्रभावशाली विदेशी मामलों के टिप्पणीकारों में से एक हैं. वह सीएनएन पर फरीद जकारिया जीपीएस की मेजबानी करते हैं और द वाशिंगटन पोस्ट के लिए एक साप्ताहिक कॉलम लिखते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौता तभी संभव है जब भारत इसे एक निश्चित तरीके से संभालेगा. अगर प्रधानमंत्री मोदी उनसे (अमेरिका से) कहें, देखिए, आप एक राजनेता हैं, मैं एक राजनेता हूं, मैं कृषि पर ये रियायतें नहीं दे सकता. मुझे चुनाव का सामना करना है. लेकिन बदले में, यहां वे चीजें हैं जो मैं कर सकता हूं। और फिर आप जानते हैं कि ट्रंप को किन चीजों की परवाह है . ट्रंप हमेशा अमेरिका में निवेश, अमेरिकी उत्पादों की खरीद, जिनमें शायद रक्षा उत्पाद भी हैं, पर फोकस करते हैं. मुझे लगता है दोनों देशों के बीच एक समझौता होना चाहिए.
प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप ने 11 दिसंबर को फोन पर बातचीत की और दोनों पक्षों के बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौते को मजबूत करने के करीब पहुंचने के संकेतों के बीच भारत-अमेरिका द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी पर चर्चा की.













