जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) पर 2019 में हुए आतंकवादी हमले का कथित रूप से जश्न मनाने के मामले में एक विशेष अदालत ने 22 वर्षीय व्यक्ति को पांच साल कैद की सजा सुनाई और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है. फैज रशीद ने आतंकवादी हमले के बाद कई फेसबुक पोस्ट पर अपमानजनक टिप्पणी की थी. ‘एडिशनल सिटी सिविल एंड सेशन' न्यायाधीश (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधीश) गंगाधर सी. एम. ने यह आदेश सुनाया. फैज रशीद 2019 में एक छात्र था और तब उसकी उम्र 19 साल थी. वह करीब साढ़े तीन साल से हिरासत में है.
अदालत ने उसे धारा 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और धारा 201 (सबूतों को मिटाना) के तहत दोषी पाया. हालांकि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद उसके खिलाफ धारा 124ए (राजद्रोह) के तहत मुकदमा नहीं चलाया गया. उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए के तहत अपराध के लिए तीन साल की कारावास की सजा सुनाई गई और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया. वहीं भारतीय दंड संहिता की धारा 201 के तहत तीन साल कैद की सजा सुनाई गई और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया.
रशीद को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 के तहत पांच साल की सजा सुनाई गई और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी. रशीद ने आतंकवादी हमले का जश्न मनाते हुए सेना का मजाक उड़ाया था और विभिन्न मीडिया संस्थानों की पोस्ट पर 23 टिप्पणियां की थीं.
रशीद के वकील ने तर्क दिया कि उसकी उम्र 21 साल से कम थी और उसने कोई अन्य अपराध नहीं किया है. उसे परिवीक्षा पर रिहा किया जाना चाहिए। हालांकि अदालत ने उनकी दलील खारिज करते हुए उसे सजा सुनाई. अदालत ने कहा कि चूंकि अपराध को अंजाम देते समय वह 19 वर्ष का था, इसलिए रशीद परिवीक्षा का हकदार नहीं है. रशीद ने जानबूझकर ऐसा किया.
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