पाकिस्तान भारत के खिलाफ दुष्प्रचार के लिए सोशल मीडिया का किस कदर इस्तेमाल कर रहा है. कैसे पाकिस्तानी सोशल मीडिया हैंडलर फेक AI वीडियो के जरिये भारत के अंदर लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं, इसके कुछ उदाहरण सामने आए हैं. कैसे पाकिस्तान ने एनडीटीवी की रिपोर्ट बताते हुए कुछ फेक एआई वीडियो डाले हैं, जिन्हें फैक्ट चेक ने बेनकाब किया है.
पिछले कुछ दिनों में एनडीटीवी की रिपोर्ट बताते हुए तीन AI वीडियो सामने आए थे. इसमें पहला पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक के साथ एक इंटरव्यू, दूसरा पाकिस्तान की एक पार्टी की फंडिंग को लेकर बिहार के नेताओं के जांच के दायरे में होने और तीसरा दुबई एयर शो में तेजस दुर्घटना पर से जुड़ा हुआ था.
स्वतंत्र फैक्ट चेक संगठनों ने इन तीनों फर्जी वीडियो की पूरी पोल खोल दी है. पहली रिपोर्ट में दावा किया गया था कि एनडीए के चार नेताओं पर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को धन मुहैया कराने के आरोप में जांच चल रही है. बूम लाइव ने फैक्ट चेक कर इस फर्जी दावे का भंडाफोड़ किया.
बूम लाइव ने सोमवार शाम को एक रिपोर्ट में कहा, इस वीडियो क्लिप को एआई का इस्तेमाल करके तैयार किया गया है. जबकि संबंधित न्यूज प्लेटफॉर्म पर ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है.
बूम ने वीडियो में आंखों की पलक झपकने और भाषण में गड़बड़ियों का उल्लेख किया. उसने कहा, दोनों क्लिप में चेहरे के बनावटी हावभाव, बार बार पलकों का एक जैसे झपका और भाषण का पैटर्न सामान्य तौर पर किसी इंसानी वीडियो से तालमेल नहीं खाता. एआई के जरिये इसमें हेरफेर का साफ संकेत मिलता है.
फैक्ट चेकर ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सैन्य हमलों के बाद पाकिस्तान स्थित सोशल मीडिया हैंडलों के पहले भी ऐसे नापाक प्रयासों का भी जिक्र किया है. इसके अनुसार, फर्जी वीडियो एआई के जरिये छेड़छाड़ वाले मीडिया के पुराने पैटर्न का ही हिस्सा हैं. इसमें भारतीय न्यूज की शख्सियतों को राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों पर बयान देते हुए दिखाया गया है.
दूसरी फेक न्यूज दुबई में एनडीटीवी के एक संवाददाता के हवाले से बताई गई रिपोर्टहै. इसमें एयरशो के दौरान भारतीय वायुसेना के तेजस लड़ाकू विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने और पायलट की मौत की दुखद घटना के बारे में बताया गया था. फर्जी रिपोर्ट में झूठा दावा किया गया कि दुर्घटना लापरवाही और षडयंत्र के कारण हुई.
एक अन्य फैक्ट चेक वेबसाइट डी-इंटेंट डेटा ने बताया कि जनरल मलिक के साक्षात्कार के वीडियो को डिजिटल तौर पर ऐसे बदला गया था, ताकि उन्हें 'धार्मिक युद्ध' और अन्य सांप्रदायिक मामलों जैसे विषयों पर बात करते हुए दिखाया जा सके. हालांकि इन विषयों पर भारत की सेना चर्चा नहीं करती है.
फैक्ट के तौर पर डी-इंटेंट डेटा ने एक्स पर पोस्ट में कहा, पाकिस्तानी प्रोपेगैंडा फैलाने वाला अकाउंट पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक का एक डिजिटल रूप से फर्जी वीडियो प्रसारित कर रहे हैं.इसमें झूठा दावा किया जा रहा है कि उन्होंने अगले तीन साल के भीतर सेना से 50 प्रतिशत गैर जातीय हिंदुओं को हटाने की कथित आरएसएस योजना का समर्थन किया था.संगठन ने इस फर्जीवाड़े को उजागर करने के लिए मलिक के ओरिजनल वीडियो और फेक वीडियो को साझा कर इसकी पोल खोली है.














