एक फर्जी बयान को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का बताकर सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है. इसमें दावा किया गया है कि दिल्ली की एक अदालत में बहस के दौरान केजरीवाल ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सूर्यप्रकाश वी. राजू से व्यंग्यपूर्वक पूछा कि क्या वह सिर्फ इतना कहने पर कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को 100 करोड़ रुपये का भुगतान किया, तो उन्हें गिरफ्तार करेंगे...? बूम ने पाया कि केजरीवाल और एएसजी एसवी राजू के बीच ऐसी कोई वायरल बहस दिल्ली की अदालत में हुई ही नहीं है, जैसा कि सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है.
अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की शराब नीति मामले से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 21 मार्च, 2024 को गिरफ्तार किया था. 28 मार्च को केजरीवाल को व्यक्तिगत रूप से दिल्ली की राउज़ एवेन्यू अदालत में पेश किया गया था, क्योंकि एजेंसी के साथ उनकी हिरासत समाप्त हो गई थी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने इससे एक पिछले पहले अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने मामले से जुड़ी कई बातें विस्तार से बताईं और अपनी गिरफ्तारी के पीछे 'राजनीतिक साजिश' का आरोप लगाया. सवाल किया कि क्या ईडी के पास एक मौजूदा मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त कारण हैं, जिनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है. विशेष सीबीआई जज कावेरी बावेजा ने ईडी को केजरीवाल की चार दिन की रिमांड दी, जो 1 अप्रैल को खत्म होगी.
वायरल बयान को 'आप का मेहता' (@DaaruBaazMehta) हैंडल द्वारा एक्स पर पोस्ट किया गया था. इसका कैप्शन है- "कोर्ट में अरविंद केजरीवाल: आपने मुझे गिरफ्तार क्यों किया है? एएसजी राजू: हमारे पास आपके खिलाफ एक बयान है. केजरीवाल : तो अगर मैं कहूं कि मैंने मोदी और अमित शाह को 100 करोड़ दिए, तो क्या आप मेरे बयान के आधार पर जाकर उन्हें गिरफ्तार करेंगे? न्यायाधीश और एएसजी दोनों चुप हो गए."
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फैक्ट चेक
बूम ने पाया कि कोर्ट की कथित बातचीत में दावा किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजू से पूछ रहे हैं कि क्या वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को गिरफ्तार करेंगे... अगर उन्होंने कहा कि उन्हें 100 करोड़ रुपये का भुगतान किया है? बूम ने जब इस वायरल पोस्ट की जांच की, तो पाया कि यह फर्जी है.
बूम की फैक्ट चेक टीम ने एक कीवर्ड इस खबर को सर्च करने का प्रयास किया, लेकिन समाचार आउटलेट या किसी विश्वसनीय मीडिया संस्थान द्वारा रिपोर्ट की गई ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जो इसकी पुष्टि करती हो.
इसके बाद बूम ने न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्टर तनिष्का सोढ़ी से संपर्क किया, जिन्होंने केजरीवाल की अदालती कार्यवाही को कवर किया था. सोढ़ी ने पुष्टि की कि वायरल बयान फर्जी है. सोढ़ी ने कहा, "केजरीवाल में मामले की सुनवाई के दौरान कोर्टरूम के अंदर कई पत्रकार थे और यह असंभव है कि हमने इसके अलावा सब कुछ सुन लिया. इसलिए यह निश्चित रूप से फर्जी है. शायद यह एक मजाक के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन मैंने देखा कि ट्विटर पर बहुत से लोग वास्तव में इस पर रिस्पॉन्स कर रहे हैं."
वहीं, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के रिपोर्टर अवैस उस्मानी ने भी बूम से पुष्टि करते हुए कहा कि वायरल ट्वीट फर्जी है और ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था. सुनवाई में मौजूद अन्य पत्रकारों ने कुछ पोस्ट ट्वीट कीं और यह भी कहा कि ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई... इनमें मनीकंट्रोल से त्यागराजन नरेंद्रन और बीबीसी से उमंग पोद्दार शामिल हैं
दिल्ली के शराब नीति मामले से जुड़ी पूरी 39 मिनट की सुनवाई को न्यूज़लॉन्ड्री के लेख में पढ़ा जा सकता है, जिसमें सुनवाई के दौरान दिए गए तर्कों और केजरीवाल द्वारा कही गई बात का विवरण दिया गया है.
यह ख़बर मूल रूप से BOOM द्वारा प्रकाशित की गई थी, और इसे शक्ति कलेक्टिव के अंतर्गत NDTV ने पुनर्प्रकाशित किया है.