हिंडनबर्ग केस (Hindenburg Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अदाणी ग्रुप (Adani Group) ने शेयरों की कीमतों को किसी भी तरह प्रभावित नहीं किया. रिपोर्ट के मुताबिक, अदाणी ग्रुप की कंपनियों में गैरकानूनी तरीके से किए गए निवेश के सबूत भी नहीं मिले हैं. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्वनी दुबे ने कहा कि हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट एक एजेंडा के तहत थी. बिना किसी निष्कर्ष के एक ग्रुप को डैमेज करने की कोशिश हुई. इससे बहुत सारे लोगों का पैसा डूब गया.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर वकील अश्वनी दुबे ने कहा कि, ''आज यह साबित हुआ कि एजेंडा ड्रिवन एक्सरसाइज हुई. एक रिपोर्ट आती है, एक पन्ने की. वह रिपोर्ट तो सभी पढ़ते हैं लेकिन उसका जो रिप्लाई होता है 453 पन्ने का वह पढ़ने की कोई कोशिश नहीं करता.''
उन्होंने कहा कि, ''सुप्रीम कोर्ट ने अपने विशडम से छह बड़े इंटलेक्चुअली एक्सपर्ट लोगों की कमेटी बनाई, जस्टिस सप्रे, केवी कामथ, ओपी भट्ट, नंदन नीलेकणी, जस्टिस जेपी देवधर और एडवोकेट शोमा शेखर. इस कमेटी ने अपने दो महीने में जो कोर्ट के डायरेक्शन थे, जो जांच का डायरेक्शन दिया गया था, जो बिंदु तय किए गए थे, उसके बाद उन्होंने कहा कि - शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी का जो मामला है वह बिल्कुल निराधार है. शेयरों की कीमत बढ़ने में कानूनों का उल्लंघन नहीं हुआ है.''
उन्होंने कहा कि, ''लेकिन इस बीच जो डैमेज करना था, बिना किसी निष्कर्ष के, बिना किसी जजमेंट के, बिना किसी कोर्ट के आर्डर के, वह डैमेज उस ग्रुप को कर दिया. अब उसकी रिकवरी कैसे होगी, वह एक अलग विषय है.''
सुप्रीम कोर्ट के वकील ने कहा कि, ''जब दो पहलुओं में जांच हो रही है, एक हमारी रेगुलेटरी बॉडी जांच कर रही है और एक एक्सपर्ट पैनल जांच कर रही है, उस पैनल की रिपोर्ट आने से पहले तक खास तौर पर हर एक व्यक्ति की जिम्मेदारी बनती है, चाहे वह जिम्मेदार व्यक्ति हो, चाहे वह राजनैतिक व्यक्ति हो या राजनैतिक पार्टी को सपोर्ट कर रहा हो, वह ऐसे आरोप नहीं लगाए जिससे इनवेस्टर्स का... यह इंडिवीजुअल का पैसा नहीं है, इसमें बहुत सारे इनवेस्टर्स का पैसा लगा है. एक अनर्गल बात से, एक झूठी बात से लोगों का पैसा डूब भी सकता है, वह कंपनी भी डूब सकती है, और तमाम लोगों का जो विश्वास, क्रेडेबिलिटी है इतने सालों में अर्न की है..खैर आज सुप्रीम कोर्ट में इस रिपोर्ट से साबित हुआ.''
अश्वनी दुबे ने कहा, ''अब दूसरे पहलू पर चर्चा हो रही है. चर्चा यह हो रही है कि अभी भी 2016 से जो जांच चल रही है, वह जांच डिसक्लोज नहीं की. जबकि बार-बार सेबी के अधिकारी आकर एफिडेविट देकर कह रहे हैं कि जो जांच चल रही है वह 15 इंडियन लिस्टेड कंपनी हैं. इसमें अदाणी ग्रुप का कोई रोल ही नहीं है. हम जो जांच शुरू किए हैं उस जांच में चूंकि इसमें बहुत सारे फारेन इंटेटीज इनवॉल्वड हैं ट्रांजेक्शन के बीच में, और इसलिए जो मल्टीलेटरल मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग है, इंटरनेशनल आर्गनाइजेशन ऑफ सिक्योरिटी कमीशन, वहां से हमने रिपोर्ट मांगी है, उसमें थोड़ा समय लगेगा.''