Exclusive: "संसद में निजी हमले ज्यादा हुए, मुद्दों पर बात कम हुई" - NDTV से बोले शरद पवार

शरद पवार ने कहा- बेरोजगारी, महंगाई, लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति जैसे कई मुद्दे हैं जिनसे आम जनता को फर्क पड़ता है, इन्हें नजरंदाज करना ठीक नहीं है.

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नई दिल्ली:

संसद में पार्टियों की ओर से राजनीतिक मुद्दे ज्यादा उठाए जाने के कारण जनसमस्याओं से जुड़े मुद्दे नजरअंदाज हो रहे हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार ने NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया से खास बातचीत में यह बात कही. पवार ने कहा कि बेरोजगारी, महंगाई, लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति जैसे कई मुद्दे हैं जिनसे आम जनता को फर्क पड़ता है, इन्हें नजरंदाज करना ठीक नहीं है.

शरद पवार ने कहा कि, ''मुद्दे पर्सनलाइज्ड हो गए और महत्वपूर्ण मुद्दे नजरअंदाज हो गए. सदन में किस मुद्दे के लिए ज्यादा संघर्ष करने की आवश्यकता है, इस बारे में हम लोग सोचते थे. आज देशवासियों के सामने क्या समस्या है? बेरोजगारी, महंगाई, लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति और ऐसी कई समस्याएं हैं. ठीक है, अगर एक-दो दिन पॉलिटिकल मुद्दे आते हैं, लेकिन यह जो मेजर इश्यू, जिनसे आम जनता को फर्क पड़ता है, उन्हें नजरअंदाज करना ठीक नहीं. जब पूरी तरह से नजरअंदाज करने का काम होता है, तो हम गलत रास्ते पर जाते हैं, यह सोच हम में आने की आवश्यकता है.''

दूसरे जो बड़े ज्वलंत मुद्दे हैं, उन्हें नहीं उठाने का ज्यादा दोष क्या कांग्रेस पार्टी का है? इस सवाल पर शरद पवार ने कहा कि, ''मैं किसी एक पार्टी को दोष नहीं दूंगा. अकेली कांग्रेस पार्टी इसमें नहीं थी. सभी पार्टियों ने मिलकर मेजर इश्यू को दूर रखकर दूसरे राजनैतिक मुद्दे ज्यादा उठाए. इससे आम जनता की समस्याओं के मामले दूर हो गए.''

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संसद में विपक्ष के हंगामे और कामकाज में गतिरोध को लेकर शरद पवार ने कहा कि, ''यह फोरम लोगों की समस्याएं रखने के लिए बड़ा इम्पार्टेंट फोरम है. जब फोरम ही काम नहीं करेगा तो? डिस्कशन एंड डॉयलाग डेमोक्रेसी में इम्पार्टेंट हैं. डिस्कशन और डॉयलाग को आप नजरअंदाज करेंगे तो यह सिस्टम संकट में आ जाएगा, खतरे में चला जाएगा.''

शरद पवार ने कहा कि, ''मुझे लगता है कि जो कुछ हो रहा है वह ठीक नहीं है. मगर हम यह भी नजरअंदाज नहीं कर सकते कि इससे पहले भी यह हुआ था. जब डॉ मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे, मैं खुद उनकी सरकार में था. तब 2-जी इशू पर कई दिन पूरा सेशन वॉशआउट हुआ था. तब जिम्मेदार लोग पार्लियामेंट में थे. बाद में हम लोग बैठे थे, तो हमने बात की कि, मतभिन्नता हो सकती है, आरोप हो सकते हैं, लेकिन यह फोरम लोगों की समस्याएं रखने के लिए बड़ा इम्पार्टेंट फोरम है. जब फोरम ही काम नहीं करेगा तो? हम लोगों के प्रतिनिधि हैं, पार्लियामेंटेरियन हैं, हम इसमें शामिल होंगे तो ठीक नहीं है.'' 

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एनसीपी प्रमुख ने कहा कि,  ''अभी हम लोगों ने पार्लियामेंट के दोनों हाउसों में देखा, सदन का काम नहीं चलने देंगे, इस लाइन पर हंगामा हुआ. सरकार की नीति पर सख्ती से बोलने का अधिकार है, मगर डिस्कशन होना चाहिए. डिस्कशन एंड डॉयलाग, यह डेमोक्रेसी में इम्पार्टेंट हैं. डिस्कशन और डॉयलाग को आप नजरअंदाज करेंगे तो यह सिस्टम संकट में आ जाएगा, खतरे में आ जाएगा.'' 

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