केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के बीच एकता स्थापित करने के प्रयास जारी है. इस बीच एनडीटीवी के पास जानकारी है कि 18 विपक्षी दलों की बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि सभी दल किसी अन्य विपक्षी दल और खासकर अपने सहयोगी दल के भावनात्मक मुद्दों पर बयानबाज़ी नहीं करेंगे. जानकारी के अनुसार राहुल गांधी ने विपक्षी दलों को भरोसा दिया है कि वो सावरकर के मुद्दे पर बयान देने से बचेंगे. दरअसल राहुल गांधी के सावरकर पर दिए गए बयान की वजह से शिव सेना उद्धव गुट ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया था.
इस बैठक में फैसला लिया गया कि विपक्ष 5 बड़े मुद्दों की पहचान करेगा. बैठक में फैसला लिया गया कि कांग्रेस को आगे आने की ज़रूरत है, क्योंकि वही अभी मुद्दों के बीच में है. कांग्रेस को सक्रियता बढ़ाने की ज़रूरत पर चर्चा की गई. बैठक में फैसला लिया गया है कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी विपक्षी नेताओं से मुलाकात करेंगे.
बैठक में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, एनसीपी नेता शरद पवार, सपा के रामगोपाल यादव, जनता दल युनाइटेड के राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और टीएमएसी समेत कई विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए.
शरद पवार ने कांग्रेस नेता को दी सलाह
शरद पवार ने बैठक में गांधी परिवार को सलाह दिया कि शिवसेना नेताओं के लिए जो भावनात्मक विषय है, उस पर कांग्रेस को बोलने से बचना चाहिए. बताते चलें कि पवार ने 2019 में वैचारिक रूप से अलग कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना को एक साथ लाकर महा विकास आघाडी गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाई थी.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि संविधान की रक्षा के लिए और जनता के मुद्दों पर सब मिलकर लोकतंत्र के लिए काम करेंगे. मंहगाई , बेरोजगारी सारी चीजों को लेकर हम लड़ रहे हैं ,अब सभी दल इन मुद्दों पर एक हो गए हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर हुई थी बैठक
सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर पर डिनर मीटिंग में कांग्रेस समेत 18 राजनीतिक दलों के नेताओं ने शिरकत की थी. हालांकि, इस बैठक में उद्धव ठाकर छाए रहे थे. उद्धव ठाकरे की गैर-मौजूदगी में हुई इस मीटिंग में तय किया गया था कि विपक्षी दल वीडी सावरकर जैसे संवेदनशील विषयों पर टिप्पणी करने से दूर रहेंगे.
हाल में वीडी सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणी से उद्धव ठाकरे नाराज थे और यही कारण था कि वह इस बैठक से अनुपस्थित रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उपनाम पर अपनी टिप्पणियों को लेकर दो साल की जेल की सजा मिलने और सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किए जाने के बाद राहुल गांधी ने कहा था, "मेरा नाम सावरकर नहीं.. गांधी है, मैं कभी माफी नहीं मांगूंगा."
सावरकर पर राहुल के बयान से शिवसेना नाराज़ रही. लेकिन संजय राउत ने कहा, अब मतभेद दूर हो गए हैं. राहुल से बात भी हुई है. उन्होंने कहा कि मेरी राहुल जी बात हो गई है, अच्छी बात है कि मतभेद दूर करने का प्रयास हो रहा है. हमारी लड़ाई सावरकर जी से नहीं मोदी जी से है.
करीब एक घंटे तक चली इस बैठक में सारे नेता मोदी विरोध के नाम पर जुटे. इनका कहना था कि जहां-जहां राज्यों में विपक्ष की सरकार है, उनको दबाया जा रहा है.
टीएमसी सांसद शांतुन सेन ने कहा कि कॉमन एजेंडा है, बीजेपी को हटाना है. लोकतंत्र लाना है. वहीं जेएमएम सांसद महुआ मांझी ने कहा कि यह तय हुआ है अगर विपक्षी दलों को दबाया जाता है, तो सब मिलकर उसका विरोध करेंगे और इसकी लड़ाई लड़ेंगे.
हालांकि विपक्षी एकता को लेकर अभी भी कई तरह के पेंच हैं कि किसकी अगुवाई में लड़ाई लड़ी जाएगी. मोदी के सामने चेहरा कौन होगा. राज्यों में कौन सा फॉर्मुला अपनाया जाएगा, जहां क्षेत्रीय दल मजबूत स्थिति में हैं.
विपक्षी एकता की राह में दो बड़ी चुनौतियां हल करनी होंगी. पहली बात तो ये कि राज्यों में कई दलों के बीच सीधा मुक़ाबला है. वहां तालमेल कैसे होगा? और दूसरा ये कि नेतृत्व का चेहरा कौन होगा? बेशक, अतीत के अनुभवों से सबक लेकर राजनीतिक दल कोई राह निकाल सकते हैं.
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