भारत में स्मार्टफोन के अत्याधिक इस्तेमाल से अभिभावकों-बच्चों के रिश्तों पर प्रतिकूल असर: अध्ययन

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘दो तिहाई बच्चों का कहना है कि यदि उनके मित्र सोशल मीडिया ऐप पर नहीं होते तो वे इसका उपयोग नहीं करते. 90 प्रतिशत से अधिक बच्चों का कहना है कि काश सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया ऐप का आविष्कार ही नहीं हुआ होता.’’

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नई दिल्ली:

भारत में स्मार्टफोन पर बढ़ती निर्भरता और उनके अत्यधिक उपयोग से माता-पिता और बच्चों के बीच संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. यह दावा चीन की मोबाइल फोन निर्माता कंपनी ‘वीवो' द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के बुधवार को आए नतीजों में किया गया.

‘साइबरमीडिया रिसर्च' द्वारा किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक, माता-पिता औसतन पांच घंटे से अधिक और बच्चे प्रतिदिन चार घंटे से अधिक समय अपने स्मार्टफोन पर बिताते हैं. दोनों समूह स्मार्टफोन का अधिकतर इस्तेमाल सोशल मीडिया और मनोरंजन के लिए करते हैं.

‘वीवो स्विच ऑफ 2024' सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल से व्यक्तिगत संबंधों में तनाव पैदा हुआ है, माता-पिता और बच्चे दोनों ही इसे अपने बीच संघर्ष का एक स्रोत मानते हैं. 66 प्रतिशत माता-पिता और 56 प्रतिशत बच्चे अत्यधिक स्मार्टफोन उपयोग के कारण अपने व्यक्तिगत संबंधों में नकारात्मक बदलाव देखते हैं.''

अध्ययन के अनुसार, माता-पिता और बच्चे दोनों एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ संबंध चाहते हैं, लेकिन कोई भी समूह अपनी अत्यधिक और उद्देश्यहीन स्मार्टफोन इस्तेमाल की आदतों पर अंकुश लगाने को तैयार नहीं है.

  1. सर्वेक्षण में शामिल 73 प्रतिशत माता-पिता और 69 प्रतिशत बच्चे इस बात से सहमत थे कि स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग उनके बीच विवाद का कारण है.
  2. अध्ययन के मुताबिक, माता-पिता और बच्चे दोनों ही स्मार्टफोन पर बहुत ज़्यादा निर्भर हैं, क्योंकि यह उनके जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है. सर्वेक्षण के अनुसार, 76 प्रतिशत माता-पिता और 71 प्रतिशत बच्चे इस बात से सहमत हैं कि वे अपने स्मार्टफोन के बिना नहीं रह सकते.
  3. अध्ययन के मुताबिक, सर्वेक्षण में शामिल 64 प्रतिशत बच्चों ने स्वीकार किया कि वे स्मार्टफोन के आदी हो चुके हैं, तथा अपना अधिकांश समय सोशल मीडिया और मनोरंजन गतिविधियों में बिताते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘दो तिहाई बच्चों का कहना है कि यदि उनके मित्र सोशल मीडिया ऐप पर नहीं होते तो वे इसका उपयोग नहीं करते. 90 प्रतिशत से अधिक बच्चों का कहना है कि काश सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया ऐप का आविष्कार ही नहीं हुआ होता.''

यह अध्ययन रिपोर्ट दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, अहमदाबाद और पुणे के 1,543 स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की राय पर आधारित है.
 

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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