राजस्थान (Rajasthan Congress Crisis) में अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ सचिन पायलट (Sachin Pilot) का अनशन शुरू हो गया है. कांग्रेस का कहना है कि सचिन पायलट का अनशन पार्टी विरोधी और हितों के ख़िलाफ़ है. हालांकि, सचिन पायलट का ये कदम राजस्थान सरकार के लिए चुनौती साबित हो सकता है, क्योंकि राज्य में करीब 8 महीने बाद चुनाव हैं. एक तरफ जहां सचिन पायलट ने अनशन शुरू कर दिया है. वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान को लेकर अहम योजनाओं का ऐलान करते दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों हमने तय किया है कि 2030 तक राजस्थान को नंबर वन बनाना है. राज्य में महंगाई राहत कैंप लगाए जाएंगे. आपका बोझ मेरा बोझ है.
सचिन पायलट आज अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ जयपुर के शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन कर रहे हैं. अनशन के लिए निकलकर सबसे पहले पायलट ज्योतिबा फुले के स्मारक पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके बाद वह शहीद स्मारक के लिए रवाना हुए, जहां बड़ी संख्या में उनके समर्थक मौजूद हैं.
इससे पहले सचिन ने कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार के दौरान खनन घोटाला एक्साइज़ घोटाले हुआ था, लेकिन उसके खिलाफ गहलोत सरकार कोई कार्रवाई नहीं हुई. सचिन ने कहा इस मुद्दे को लेकर उन्होंने गहलोत सरकार को एक साल पहले दो-दो चिट्ठियां लिखी पर उसका कोई जवाब नहीं मिला. सचिन के अनशन पर बैठने के ऐलान के साथ राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सवाल उठाए और सचिन पायलट के इस तरीके पर आपत्ति जताई, उन्होंने इसे पार्टी के हितों के ख़िलाफ़ क़दम बताया.
पायलट ने राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ एक नया मोर्चा खोलते हुए रविवार को कहा था कि वह राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में कथित तौर पर हुए ‘भ्रष्टाचार' पर कार्रवाई की मांग को लेकर 11 अप्रैल को जयपुर में शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन करेंगे.
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