शिक्षित वर्ग में बढ़ रही अनास्था और अश्रद्धा, शास्त्रों में छुआछूत की नहीं है कोई जगह: RSS चीफ मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा, "बुरी ताकतें दुनिया भर में मौजूद हैं. उनके बुरे काम हर जगह जारी हैं. बांग्लादेश पहला मामला नहीं है. पहला मामला अमेरिका का है."

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने सद्गुरु समूह की ओर से आयोजित ‘वेदसेवक सम्मान सोहाला’ में ये बातें कही.
पुणे:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने बुधवार को कहा कि दुनिया के बाकी हिस्सों में पनपने वाली 'बुरी ताकतों' का पतन भारत में होता है. भागवत सद्गुरु समूह की ओर से आयोजित ‘वेदसेवक सम्मान सोहाला' को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के दौरान 16 महीने तक वेदों के ‘अनुष्ठान' (पाठ) में भाग लेने वाले 200 गुरुओं को सम्मानित किया.

बुरी ताकतें दुनिया भर में मौजूद 
इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा, "बुरी ताकतें दुनिया भर में मौजूद हैं. उनके बुरे काम हर जगह जारी हैं. बांग्लादेश पहला मामला नहीं है. पहला मामला अमेरिका का है. मैंने एक अमेरिकी लेखक की लिखी गई किताब ‘कल्चरल डेवलपमेंट ऑफ अमेरिका' पढ़ी. इसमें उन्होंने पिछले 100 वर्षों में अमेरिका के सांस्कृतिक पतन पर चर्चा की है."

संघ प्रमुख ने कहा, "यह पतन पोलैंड में दोहराया गया. फिर अरब देशों में ‘अरब क्रांति' के रूप में ऐसा हुआ. हाल ही में यह बांग्लादेश में हुआ है." भागवत ने कहा, "जो लोग दुनिया पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं और मानते हैं कि वे ही सही हैं, जबकि अन्य गलत हैं, ऐसी अभिमानी प्रवृत्तियां लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना चाहती हैं. इससे लाभ उठाना चाहती हैं."

बिना किसी डर के ऐसी प्रवृत्तियों पर नजर रखने की जरूरत
भागवत ने कहा कि ऐसी प्रवृत्तियों के कारण 'आपदाएं' आती हैं और राष्ट्र बर्बाद हो जाते हैं. उन्होंने कहा, "हमें बिना किसी डर के ऐसी प्रवृत्तियों पर नजर रखने की जरूरत है. इतिहास बताता है कि ऐसी ताकतें उभरती हैं. आखिरकार भारत तक पहुंचती हैं और यहां उनका पतन होता है."

शिक्षित वर्ग में बढ़ रही अनास्था और अश्रद्धा 
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अनास्था और अश्रद्धा बढ़ रही है. खासकर शिक्षित वर्ग में ऐसा देखा जा रहा है, क्योंकि उनके पास अनुकरण करने के लिए कोई उदाहरण नहीं है. उन्होंने कहा कि अस्पृश्यता का शास्त्रों में कोई स्थान नहीं है, लेकिन यह व्यवहार में मौजूद है.

भागवत ने पूछा, "अगर कोई हिंदू धर्म के ऐसे अड़ियल व्यवहार से तंग आकर दूसरे धर्म में धर्मांतरण करता है, तो इसके लिए किसे दोषी ठहराया जाए."

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