Exclusive: "...सबको मिलेगी प्रेरणा" - राम मंदिर पर क्या बोले रामायण के 'राम' अरुण गोविल

रामायण सीरियल में श्रीराम के चरित्र को जीवंत करने वाले अरुण गोविल ने कहा, "राम का मंदिर तो अयोध्या में बनना ही था. आज पूरा देश पूरा विश्व राममय हो गया है. हर तरफ राम का यूफोरिया है. राम मंदिर बनाने की सरकार की पहल बहुत अच्छी है."

विज्ञापन
Read Time: 7 mins
नई दिल्ली:

अयोध्या में श्रीरामलला बरसों टेंट में रहे. फिर उन्हें कांच और लकड़ी से बने अस्थाई मंदिर में शिफ्ट किया गया. अब लंबे इंतजार के बाद प्रभु श्रीराम अपनी भव्यता और दिव्यता के साथ मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) में विराजमान होने जा रहे हैं. 22 जनवरी को मंदिर का उद्घाटन और श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Consecration) का अनुष्ठान है. टीवी के प्रभु श्रीराम यानी अरुण गोविल (Arun Govil) ने इसपर खुशी जताई है. उन्होंने कहा कि अयोध्या का राम मंदिर एक तरह से राष्ट्र मंदिर है. इस मंदिर से हर किसी को प्रेरणा मिलेगी. 

गोविल ने कहा, "राम का मंदिर तो अयोध्या में बनना ही था. आज पूरा देश पूरा विश्व राममय हो गया है. हर तरफ राम का यूफोरिया है. राम मंदिर बनाने की सरकार की पहल बहुत अच्छी है." बता दें कि कोई भावना जब सभी पर प्रबल तरीके से हावी हो जाती है, तो उसे 'यूफोरिया' कहते हैं.

 Exclusive: रामायण में 'राम-सीता' बनने के बाद कैसे बदली अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया की जिंदगी?
 

टीवी के प्रभु श्रीराम (अरुण गोविल), माता सीता (दीपिका चिखलिया) और लक्ष्मण (सुनील लहरी) को राम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता मिला है. तीनों इन दिनों अयोध्या में हैं. टीवी के 'श्रीराम' यानी अरुण गोविल NDTV को दिए खास इंटरव्यू में राम मंदिर पर अपने विचार रखें. गोविल ने कहा, "जहां तक आध्यात्मिकता की बात है, तो अयोध्या की कोई सीमा नहीं है. राम मंदिर एक तरह से राष्ट्र मंदिर है. इससे हर किसी को प्रेरणा मिलेगी. अयोध्या जाने के बाद आप खुद ही आध्यात्म की दुनिया में पहुंच जाते हैं. राम मंदिर जो हम सभी को प्रेरणा देगा, यही पहले और बाद की अयोध्या के बीच फर्क है."

रामायण के ऑडिशन में फेल हो गए थे अरुण गोविल, बताया आखिर कैसे मिला प्रभु श्रीराम का रोल

 

इसके साथ ही अरुण गोविल ने राम मंदिर बनने से पहले और बाद के अयोध्या का फर्क भी समझाया. उन्होंने कहा, "कुछ महीने पहले मैं एक फिल्म की शूटिंग के लिए अयोध्या गया था. उस समय की जो अयोध्या थी और जो आज की अयोध्या है.. दोनों में जमीन-आसमान का फर्क है. आज की अयोध्या इतनी सुंदर हो गई है, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती. जिस तरह से दीपक जलाए जाते हैं. जैसी सजावट होती है. यहां बड़ी-बड़ी दुकानें खुल गई हैं. आज हर ब्रांड अयोध्या में है. नगर का पूरा विकास हुआ है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अभी नहीं हुई है, लेकिन करीब-करीब 25 हजार लोग रोजाना बाहर से अयोध्या आते हैं. पूरी अयोध्या समृद्ध हो रही है." 

'रामायण' में भगवान राम का किरदार निभाने में कितनी मददगार रही अरुण गोविल की मुस्कुराहट?