भारत से गुजर रही है इथोपिया में फटे ज्वालामुखी की राख, इस मायने में हम रहे खुशकिस्मत

इथियोपिया में ज्वालामुखी विस्फोट से उठे राख के गुबार के कारण मंगलवार को दिल्ली हवाई अड्डे पर कम से कम सात अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द कर दी गईं और 10 से ज्यादा विदेशी उड़ानें विलंबित रहीं. एअर इंडिया ने सोमवार से अब तक 13 उड़ानें रद्द की हैं.

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  • इथोपिया के ज्वालामुखी की राख अरब सागर होते हुए गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार के ऊपर से गुज़र चुकी है
  • राख आसमान में 8 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर है, जहां हवा की गति एक सौ पचास किलोमीटर प्रति घंटा है
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि राख आज रात तक भारत से निकलकर चीन की तरफ बढ़ जाएगी
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नई दिल्ली:

इथोपिया में फटे ज्वालामुखी की राख अरब सागर होते हुए अब भारत पहुंच चुकी है. सबसे पहले ये गुबार गुजरात की तट पर कल शाम सात बजे पहुंचा फिर रात को करीब 12 बजे दिल्ली पहुंचा है और खबर लिखे जाने तक उप्र और बिहार के ऊपर से गुज़र रहा है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के DG डा मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि आज रात तक ज्वालामुखी की राख भारत से निकल जाएगी. जो कि इसके बाद फिर चीन की तरफ बढ़ जाएगा.

कब भारत से आगे निकलेगी ज्वालामुखी की राख

आज शाम 7 बजे तक ज्वालामुखी की राख भारत की सीमा से बाहर चीन की तरफ चला है. इथोपिया के ज्वालामुखी की राख आसमान में 8-15 किमी ऊपर पहुंच गई है. जहां हवा की गति 150km घंटे की है. लिहाज़ा हम नंगी आंखों से इसे नहीं देख सकते हैं. इसी सतह पर विमानों की भी उड़ान होती है. यही वजह है कि एयरपोर्ट को भी मौसम विभाग लगातार अपडेट मुहैया करा रहा है.

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दिल्ली के प्रदूषण पर ज्वालामुखी की राख का क्या असर

कई लोगों को ये डर है कि दिल्ली का प्रदूषण पहले ही बहुत गंभीर है. ऐसे में अगर ये राख ऊपर से गुज़र रही है तो इसका असर प्रदूषण पर गंभीर तौर पर पड़ेगा. लेकिन डा मृत्युंजय महापात्रा इस बात को ख़ारिज करते हैं. उनका कहना है कि इस राख का पृथ्वी की सतह पर असर नहीं पड़ रहा है. चूंकि ये आसमान में 8-15 किमी ऊपर है. लिहाजा यहां के प्रदूषण से इसका कोई ताल्लुक नहीं है.

सिर्फ एविशन सेक्टर के लिए जारी की गई एडवायजरी

ज्वालामुखी की राख बहुत ऊपर है, इसलिए दिल्ली के प्रदूषण पर इसका कोई प्रभाव नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि लोगों को घबराने की जरुरत नहीं है और हमने कोई एडवायजरी जारी नहीं की है. लेकिन एयरक्राफ्ट ऑपरेटर के लिए एडवायजरी जारी किया गया है.

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भारत इस मामले में ख़ुशक़िस्मत रहा 

डा मृत्युंजय महापात्रा कहते हैं कि ज्वालामुखी की राख की सांद्रता ज्यादा होती तो बादल बन सकता था. साथ ही ये जहां से गुजरा है, वहां कोई पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम भी ख़राब नहीं है. इसके वजह से ये तेज़ी से भारत के ऊपर से गुज़र रहा है. इस वक़्त दक्षिणी राज्यों में पश्चिमी विक्षोभ चल रहा है. लेकिन ये राख उत्तरी भारत से गुज़र रहा है. इसलिए परेशान होने की कोई बात नहीं है.

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