"पिछले सालों में ऑड-ईवन स्कीम से प्रदूषण में कमी देखने को मिली थी": पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. अनुमिता रॉय चौधरी

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की कार्यकारी निदेशक और पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि पिछली बार जब ऑड-ईवन स्कीम लागू किया गया उस दौरान पॉल्यूशन लेयर में बदलाव देखा गया था.

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नई दिल्ली:

दिल्ली में प्रदूषण का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. ठंड की शुरुआत के साथ ही हवा की गुणवत्ता में गिरावट देखने को मिल रही है. इस बीच दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए शहर में ऑड-ईवन सिस्टम (Odd-even system) को लागू किया है. इस मुद्दे पर एनडीटीवी से बात करते हुए सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की कार्यकारी निदेशक और पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि दिल्ली में ऑड-ईवन स्कीम शुरू की जा रही है क्योंकि दिल्ली में गाड़ियों का सबसे ज्यादा कंट्रीब्यूशन होता है प्रदूषण में. अगर दिल्ली में प्रदूषण के आंतरिक स्रोत को हम देखें तो यह सबसे प्रमुख है. गाड़ियां पार्ट ऑफ द प्रॉब्लम है इसलिए उन्हें पार्ट ऑफ द सॉल्यूशन भी होना चाहिए. ऑड-ईवन स्कीम का प्रदूषण नियंत्रित करने पर कितना असर पड़ा इसकी कई स्टडीज है और सैटेलाइट इमेज भी हैं. 

"ऑड-ईवन स्कीम से प्रदूषण में कमी देखने को मिली थी"

अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि पिछली बार जब ऑड-ईवन स्कीम लागू किया गया उस दौरान पॉल्यूशन लेयर में बदलाव देखा गया था. हमने यह भी देखा है की ऑड-ईवन स्कीम लागू रहने के दौरान हवा की रफ्तार शहर में बढ़ी नहीं लेकिन प्रदूषण कुछ कम हुआ.अगर आप साल भर के पॉल्यूशन लोड को देखें दिल्ली में. उसमें गाड़ियों की हिस्सेदारी करीब 40 फ़ीसदी है.

"प्रदूषण में गाड़ियों की हिस्सेदारी 50% से 60% है" 

इंडियन इंस्टीट्यूट आफ ट्रॉपिकल मीटरोलॉजी के डाटा के मुताबिक आज अगर आप दिल्ली में प्रदूषण के सारे स्रोत को देखें उसमें गाड़ियां अभी तीसरे नंबर पर हैं. लेकिन अगर आप दिल्ली मैं प्रदूषण के इंटरनल स्रोत को देखें तो प्रदूषण में गाड़ियों की हिस्सेदारी 50% से 60% है. गाड़ियां दिल्ली में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह है.  इमरजेंसी एक्शन कोई मैजिक बुलेट नहीं हो सकता है दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बहुत खराब है. शहर में हवा नहीं है, पॉल्यूशन दबा हुआ है. 

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