"मीडिया को मौखिक टिप्पणियों की रिपोर्टिंग से रोकें" : चुनाव आयोग का मद्रास हाईकोर्ट से अनुरोध

निर्वाचन आयोग ने कहा, "इस तरह की खबरों ने एक स्वतंत्र संवैधानिक एजेंसी के रूप में भारत के चुनाव आयोग की छवि को धूमिल किया, जिसे चुनाव कराने की संवैधानिक जिम्मेदारी सौंपी गई है." 

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मीडिया की रिपोर्टिंंग से धूमिल हुई हमारी छवि : चुनाव आयोग (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

कोरोनावायरस (Coronavirus) के बढ़ते मामलों के बीच चुनावी रैलियों पर रोक नहीं लगाने को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को फटकार लगाई थी. अब चुनाव आयोग ने मद्रास हाई कोर्ट से अनुरोध किया है कि मौखिक टिप्पणियों की रिपोर्टिंग से मीडिया को रोका जाए. हाल ही में चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा था कि "कोविड की दूसरी लहर के लिए अकेले आपकी संस्था (चुनाव आयोग)  जिम्मेदार है और आपके अधिकारियों को संभवतः हत्या के आरोप में बुक किया जाना चाहिए"  

चुनाव आयोग ने अपनी याचिका में कहा कि वह मद्रास हाईकोर्ट की मौखिक टिप्पणी की मीडिया रिपोर्ट से व्यथित है. जिसमें कहा गया था कि मौजूदा स्थिति के लिए अकेले आपकी संस्था (चुनाव आयोग)  जिम्मेदार है" और चुनाव आयोग पर हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए.  

निर्वाचन आयोग ने कहा, "इस तरह की खबरों ने एक स्वतंत्र संवैधानिक एजेंसी के रूप में भारत के चुनाव आयोग की छवि को धूमिल किया, जिसे चुनाव कराने की संवैधानिक जिम्मेदारी सौंपी गई है." 

अदालत की मौखिक टिप्पणी की मीडिया रिपोर्टिंग के बाद पश्चिम बंगाल में डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर के खिलाफ हत्या का आरोप लगाते हुए शिकायत भी दर्ज की गई थी. 

मद्रास उच्च न्यायालय की फटकार के बाद चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनावों के नतीजों के ऐलान से पहले बड़ा फैसला लिया था. आयोग के अनुसार, नतीजों के बाद जीत के जूलूस पर पाबंदी होगी. यानी कि जीत का जश्न सड़कों पर मनाने की मनाही होगी. बताते चलें कि मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से नतीजों को लेकर की गई तैयारियों का ब्लू प्रिंट मांगा था.

वीडियो: 'दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार'

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