पहले चरण में कम मतदान ने बढ़ाई टेंशन ! गर्मी के सितम को कम करने लिए EC की हाई लेवल बैठक

19 अप्रैल को हुए लोकसभा चुनावों के पहले चरण के दौरान औसत से कम मतदान दर्ज़ किया गया है. कई चुनाव क्षेत्रों में औसत से अधिक गर्मी को इसकी अहम वजह माना जा रहा है.

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नई दिल्ली:

लोकसभा चुनावों के पहले चरण में औसत से कम मतदान को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है. सबसे ज्यादा चिंता देश के अधिकतर इलाकों में बढ़ती गर्मी को लेकर है. इसको लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार को सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ एक हाई लेवल बैठक कर इससे निपटने के विकल्पों पर विचार किया.

19 अप्रैल को हुए लोकसभा चुनावों के पहले चरण के दौरान औसत से कम मतदान दर्ज़ किया गया है. कई चुनाव क्षेत्रों में औसत से अधिक गर्मी को इसकी अहम वजह माना जा रहा है.

पिछले लोक सभा चुनावों में कैसा था मौसम का मिजाज?  

  • नवादा संसदीय क्षेत्र में 11 अप्रैल, 2019 को मतदान के दिन अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था और करीब 52.5% मतदान हुआ था.
  • पांच साल बाद 19 अप्रैल, 2024 को नवादा संसदीय क्षेत्र में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया जबकि मतदान घटकर सिर्फ 41.50% रह गया.
  • गया संसदीय क्षेत्र में 11 अप्रैल, 2019 को मतदान के दिन अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था और करीब 56 % मतदान हुआ था.
  • पांच साल बाद 19 अप्रैल, 2024 को गया में भी अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया और मतदान घटकर 52% रह गया.
  • मतदान के दिन नवादा और गया दोनों सीटों पर अधिकतम तापमान सात डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया था.

मौसम विभाग ने आने वाले हफ्तों में गर्मी बढ़ने का पूर्वानुमान जारी किया है. अगर ऐसा हुआ तो इसका असर अगले 6 चरण के बचे हुए मतदान पर पड़ना तय है. इस बढ़ती चिंता के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों ने सोमवार को मौसम विभाग सहित सभी स्टेक होल्डर के साथ चुनाव आयोग में लंबी बैठक कर तेज गर्मी की वजह से पोलिंग बूथ पर मतदाताओं के लिए की जा रही विशेष तैयारियों का जायजा लिया.

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इधर, बढ़ती चिंता के बीच गाजियाबाद में 26 अप्रैल को होने वाले दूसरे चरण के मतदान की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है. गाजियाबाद लंबे समय से कम मतदान प्रतिशत की समस्या से जूझता रहा है. 2019 के लोक सभा चुनावों के दौरान यहां राष्ट्रीय औसत से करीब 12 फ़ीसदी कम मतदान हुआ और 2022 के विधान सभा चुनावों में भी यहां पूरे उत्तर प्रदेश में सबसे कम मतदान हुआ था.

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इस बार जिला प्रशासन ने high-rise बिल्डिंग्स में मिडिल क्लास मतदाताओं के लिए 33 पोलिंग सेंटर सेटअप करने का फैसला किया है, जिससे वो आसानी से वोटिंग में भाग ले सकें. 30 कॉलेज में युवा मतदाताओं को उत्साहित करने के लिए विशेष कैंप भी लगाए गए. लेकिन अब मतदान पर तेज गर्मी का साया मंडरा रहा है.    

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गाजियाबाद के मुख्य मुख्य चुनाव विकास अधिकारी अभिनव गोपाल ने कहा कि तापमान बढ़ रहा है. हमने इससे निपटने की विशेष तैयारी की है. हर पोलिंग बूथ में पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है. हमने मैपिंग की है. जहां-जहां यह समस्या आ सकती है. वहां छायादार जगह का इंतजाम किया जा रहा है. टेंट लगाए जा रहे हैं. हमने पहली बार लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद की हाई राइज बिल्डिंग में 33 पोलिंग सेंटर लगाने का फैसला किया है. इससे शहरी इलाकों में जो मिडिल क्लास के मतदाता है, उनके लिए मतदान करना आसान होगा. 

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अभिनव गोपाल कहते हैं, "गाजियाबाद में ग्रामीण इलाकों में करीब 20% से 25% मतदाता है, जबकि शहरी इलाकों में 75 से 80 फ़ीसदी मतदाता है. साहिबाबाद क्षेत्र में 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान सिर्फ 47 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि गाजियाबाद में 49% मतदान हुआ था. 2022 के विधानसभा चुनाव में गाजियाबाद में 2019 के लोकसभा चुनाव से भी कम वोटिंग दर्ज की गई थी. हमने स्कूलों में घर-घर जाकर वोटरों को मतदान के लिए उत्साहित करने के लिए अभियान चलाया है. पहली बार मतदान करने वाले युवा मतदाता वोटिंग में कम भाग ले रहे हैं. इसके लिए 30 लोकल कॉलेज में गाजियाबाद प्रशासन ने विशेष अभियान चलाया है."

'पहले मतदान, फिर जलपान'...आम वोटरों को उत्साहित करने के लिए गाजियाबाद शहर में जगह जगह ऐसे पोस्टर्स लगे हैं. दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनावों और 2022 के विधान सभा चुनावों में यहां वोटिंग का प्रतिशत उत्तर प्रदेश में औसत मतदान से काफी कम रहा था. इस बार गर्मी भी बढ़ रही है. ऐसे में देखना होगा कि क्या इस बार गाज़ियाबाद में कम वोटिंग का ये ट्रैंड क्या बदल पायेगा? 

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