निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) में शेष चार चरणों के चुनाव (Assembly Election) कराने के लिए केंद्रीय सशस्त्र बल (सीएपीएफ) की 71 अतिरिक्त कंपनियां तैनात करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Ministry of Home Affairs) को शनिवार को निर्देश दिए. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. यह आदेश बंगाल में चुनावी हिंसा की कई घटनाओं की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें कूचबिहार की घटना भी शामिल है, जहां केंद्रीय बलों के कर्मियों की गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई. उन्होंने कथित रूप से हमला होने पर जवाबी कार्रवाई की थी.
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वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को सुरक्षा बलों की ‘तत्काल' और कंपनियां तैनात करने का निर्देश दिया है. अबतक, राज्य में चुनाव कराने के लिए कुल 1,000 कंपनियों को रखा गया था. पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें हैं. नई कंपनियों को सीमा सुरक्षा बल (33), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (13), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (12), सशस्त्र सीमा बल (9) और सीआईएसएफ (4)से लिया गया है. सीएपीएफ की एक कंपनी में लगभग 85 कर्मी होते हैं.
पश्चिम बंगाल में शनिवार को चौथे चरण का मतदान हुआ. राज्य में आठ चरणों में मतदान होना है.अगले चरणों के चुनाव 17, 22, 26 और 29 अप्रैल को होने हैं.
पश्चिम बंगाल में विधानसभा के चौथे चरण के लिये शनिवार को हुए चुनाव में शाम पांच बजे तक 76.16 प्रतिशत मतदान हुआ. इस दौरान हुई हिंसा की वजह से निर्वाचन आयोग को कूच बिहार के सीतलकूची में एक बूथ पर मतदान स्थगित करना पड़ा. निर्वाचन आयोग ने कहा कि चुनाव के इस चरण में 44 विधानसभा क्षेत्रों में फैले 15940 मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ. निर्वाचन आयोग ने एक बयान में कहा, “हालांकि कूच बिहार के सीतलकूची विधानसभा क्षेत्र के तहत एक मतदान केंद्र संख्या 126 पर विशेष पर्यवेक्षकों से हिंसा की घटना की खबर प्राप्त होने के बाद, आयोग ने वहां चुनाव स्थगित कर दिया है. विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार है.”
इस चरण में 15940 मत इकाइयां (बीयू) और इतनी ही नियंत्रण इकाइयां (सीयू) और वीवीपीएटी का इस्तेमाल किया गया. कम से कम एक बीयू, एक सीयू और एक वीवीपीएटी से एक ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) इकाई तैयार होती है. बयान में कहा गया, “चुनाव के दौरान (ईवीएम के) काम न करने की दर पिछले कुछ चुनावों के अनुभवों के जितनी ही थी.” इस संबंध में और विवरण नहीं दिया गया.
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तृणमूल कांग्रेस के केंद्रीय बलों द्वारा लोगों पर एक खास पार्टी के पक्ष में मतदान के लिये दबाव डाले जाने के आरोपों के बीच बयान में कहा गया कि आयोग के निर्देशों के मुताबिक, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों समेत पुलिस अधिकारी तब तक मतदान केंद्रों के अंदर नहीं जा सकते जब तक कि कानून-व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर पीठासीन अधिकारी को उनकी आवश्यकता हो.
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