अपने पहले भाषण में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बालासाहेब ठाकरे और आनंद दिघे को किया याद, साथी विधायकों को कहा "शुक्रिया"

महाराष्ट्र विधानसभा में बतौर मुख्यमंत्री अपने पहले भाषण में एकनाथ शिंदें जहां एक तरफ भावुक नजर आए वहीं दूसरी तरफ उनके भाषण में आक्रामकता भी साफ झलक रही थी.

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एकनाथ शिंदे का बतौर मुख्यमंत्री सदन में पहला भाषण
मुंबई:

महाराष्ट्र विधानसभा में बतौर मुख्यमंत्री अपने पहले भाषण में एकनाथ शिंदें जहां एक तरफ भावुक नजर आए वहीं दूसरी तरफ उनके भाषण में आक्रामकता भी साफ झलक रही थी. सदन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा,”बालासाहेब ठाकरे और आनंद दिघे के आशीर्वाद से आज एकनाथ शिंदे ने शिवसेना-बीजेपी सरकार की स्थापना की है.” हालिया बगावत के दिनों को याद करते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा,”मेरे साथ पिछले 15 -20 दिनों तक शिवसेना के 40 विधायक और निर्दलीय 11 विधायक, कुल 50 विधायकों ने मुझपर विश्वास रख इतना बड़ा निर्णय करने की हिम्मत दिखाई ...इसके लिए उन सभी साथियों को धन्यवाद.”

सदन को संबोधित करते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा,”मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा कि आज में बतौर मुख्यमंत्री इस सभागृह में बोल रहा हूँ  क्योंकि अगर महाराष्ट्र के अलग अलग घटनाओं को आप देखें तो लोकप्रतिनिधि विपक्ष से सत्ता की तरफ जाते हैं. लेकिन आज यह ऐतिहासिक घटना है जिसे देश और राज्य देख रहा है.. मुझे देवेंद्र जी ने बताया कि 33 देश इसे देख रहे हैं. इस घटना में सत्ता से हम विपक्ष की ओर गए ..... हमारे साथ में कई मंत्री थे, वो अपना मंत्रिपद छोड़ कर मेरे साथ आए,  50 विधायक मेरे साथ आए और मेरे जैसे एक कार्यकर्ता जो बालासाहेब और दिघे साहब का सैनिक है उसपर इन्होंने विश्वास किया.”

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बगावत की वजहों पर रौशनी डालते हुए कहा,”विधानपरिषद चुनाव के दिन जिस तरह मुझसे बर्ताव किया गया उसे कई विधायकों ने देखा... जो बर्ताव किया गया वो मुझसे सहन नहीं हुआ, और मुझे साथी विधायकों के फोन आने लगे और उसके बाद सभी लोग साथ में चलने लगे... उस समय मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का फोन आया था -- पूछ रहे थे कि कहां जा रहे हो, मैंने कहा कि पता नहीं. उन्होंने पूछा कि कब तक  आओगे, मैंने कहा कि पता नहीं..”

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मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उन्होंने उसी समय कदम उठाने का फैसला ले लिया था चाहे वो भले ही शहीद हो जाएं. “मेरे साथियों ने भी कहा कि चिंता मत करो, तुमपर कोई परेशानी नहीं आने दूंगा,” शिंदे ने कहा.

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अपने अतीत को याद कर एकनाथ काफी भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि पार्टी के लिए उन्होंने कभी अपने घर-परिवार के बारे में नहीं सोचा. “माँ पिता को समय नहीं दे पाया, मैं आता था तब वो सोए रहते थे और जब उठता था तब वो काम पर जाते थे.. शिवसेना को समय देने के वजह से में अपने बेटे श्रीकांत को समय नहीं दे पाया.”

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अपने संघर्ष के दिनों को याद कर मुख्यमंत्री काफी भावुक हो उठे. उन्होंने अपने राजनीतिक गुरू आनंद दिघे को भी याद किया.  उन्होंने कहा,”मेरे दो बच्चों की मृत्यु हो गई थी…. (मुख्यमंत्री रोने लगे) उस समय आनंद दिघे ने मुझे समझाया. उस समय मैं सोचता था कि किसके लिए जीना है, मैं परिवार के साथ रहूँगा...लेकिन दिघे साहब 5 बार घर आए, मैंने साहब से कहा कि मैं अब काम नहीं कर सकता..लेकिन दिघे साहब ने मुझे कहा कि तुम्हें अपने आंख के आंसू पोंछकर दूसरे के आंसुओं को पोंछना है.”

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इससे पहले आज महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विश्वासमत जीता. उनके पक्ष में कुल 164 वोट पड़े. ऐसे में ये सिद्ध हो गया कि नई सरकार विधायकों के समर्थन से बनी है. बता दें कि कल हुए विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में टीम के उम्मीदवार की जीत के बाद फ्लोर टेस्ट का रास्ता कुछ हद तक शिंदे के लिए आसान हो गया था. ऐसा इसलिए क्योंकि कल हुए चुनाव में ये स्पष्ट हो गया है कि कितने विधायक नई सरकार का समर्थन कर सकते हैं.

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