एक्टिविस्ट हर्ष मंदर से जुड़े तीन स्थानों पर प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी के बाद, शिक्षाविदों, पत्रकारों, फिल्म निर्माताओं, कार्यकर्ताओं और वकीलों सहित 600 से अधिक लोग मंदर के समर्थन में आवाज उठाई है. एक संयुक्त बयान में, उन्होंने कहा है कि "भारत का संविधान और देश का कानून प्रबल होगा, ये डराने-धमकाने की रणनीति उजागर करती हैं कि वे क्या हैं - केंद्रीय संस्थानों का हमारे अधिकारों के हनन के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है".
इतिहासकार राजमोहन गांधी, अधिवक्ता प्रशांत भूषण और इंदिरा जयसिंह, कार्यकर्ता मेधा पाटकर और अर्थशास्त्री जीन द्रेज सहित हस्ताक्षरकर्ताओं ने बयान में कहा है कि मंदर और उनकी सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज को पिछले एक साल से केंद्रीय एजेंसियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है."
मौजूदा छापे इस साल फरवरी में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच से जुड़े हैं.
वसंत कुंज में मंदर के घर और अदचीनी में सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज में उनके कार्यालय पर एक साथ छापेमारी की गई, साथ ही उनके एनजीओ द्वारा संचालित दो बालगृह पर भी छापे मारे गए.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देश के तहत दायर दिल्ली पुलिस की प्राथमिकी में दिल्ली के महरौली में दो बाल गृह - उम्मीद अमन घर (लड़कों के लिए) और खुशी रेनबो होम (लड़कियों के लिए) से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है.
वित्तीय अपराधों की जांच के लिए बनाई गई जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय दिल्ली पुलिस की प्राथमिकी पर कार्रवाई कर रहा है, जिसमें धोखाधड़ी, विश्वास भंग और आपराधिक साजिश जैसे आरोप लगाए गए थे.