राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों के परिसरों पर की गई छापेमारी पर रोष व्यक्त किया है. आरजेडी के नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र में सत्तासीन बीजेपी राजनीतिक विरोधियों के साथ हिसाब चुकता करने के लिए सीबीआई ईडी और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों को ‘‘स्क्रिप्ट'' प्रदान कर रही थी.
राज्यसभा सांसद और आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज कुमार झा ने आरोप लगाया कि केंद्रीय एजेंसियां “उपहास का पात्र” बन गई हैं. उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी पिछले साल अगस्त में बिहार में सत्ता गंवाने के सदमे से उबर नहीं पा रही है.” उन्होंने आरोप लगाया, “ऐसा लगता है कि सेवानिवृत्ति के बाद मलाईदार पद की इच्छा रखने वाले केंद्रीय एजेंसियों के कुछ अधिकारियों ने बीजेपी के दिमाग में यह विचार भर दिया है कि वे महागठबंधन को अस्थिर कर सकते हैं. लेकिन बीजेपी को पता होना चाहिए कि महागठबंधन बहुत मजबूत है.”
मनोज झा ने कहा, “इसके अलावा उसे याद रखना चाहिए कि यह हमेशा के लिए सत्ता में नहीं रहेगी. कोई दूसरा शासन भविष्य में बीजेपी के साथ वही करने के बारे में सोच सकता है, जो वह अपने विरोधियों के साथ कर रही है. पार्टी को यह समझना चाहिए और एजेंसियों को उसकी पटकथा का पालन करने के लिए कहना बंद करना चाहिए.”
उन्होंने कहा कि छापेमारी उस समय से संबंधित नौकरियों के लिए भूमि घोटाले के संबंध में की जा रही है. जब प्रसाद यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में रेल मंत्री थे. जिन लोगों के परिसरों पर छापा मारा गया है, उनमें प्रसाद की बेटियां रोहिणी और हेमा के अलावा उनके छोटे बेटे और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के ससुराल वाले भी शामिल हैं.
पटना में आरजेडी के एक पूर्व विधायक अबू दोजाना के हारून नगर आवास और एसपी वर्मा रोड आवास पर छापे मारे गए. दोजाना पर लालू यादव के बेनामी लेनदेन में सहायक होने का आरोप लगता रहा है. दोजाना कुछ समय के लिए अपने महलनुमा घर की बालकनी पर आकर बाहर खड़े मीडियाकर्मियों से कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि ये लोग मेरे घर पर क्या खोजने की कोशिश कर रहे हैं. मैं इतना ही जानता हूं कि हम भाजपा के सामने न झुकने की कीमत चुका रहे हैं.''
आरजेडी के वरिष्ठ नेता और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा, ‘‘कुछ दिन पहले ही सीबीआई पूछताछ के लिए राबड़ी देवी दिल्ली गई थीं. मुझे हैरानी होती है कि ये केंद्रीय एजेंसियां भ्रष्टाचार के संदिग्ध बीजेपी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती हैं.”
महागठबंधन सरकार को बाहर से समर्थन देने वाली भाकपा-माले ने भी कहा कि छापेमारी निस्संदेह बीजेपी के राजनीतिक प्रतिशोध का एक उदाहरण है जो बिहार में नई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है. भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल के कहा कि कई बार केंद्रीय एजेंसियों ने लालू प्रसाद, उनके परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों पर छापा मारा और उनसे पूछताछ की. लेकिन कुछ भी नहीं मिला है. उन्होंने आरोप लगाया कि यहां तक कि तमिलनाडु में प्रवासियों पर हमलों की अफवाह भी बीजेपी की करतूत थी जो अपने विरोधियों को सत्ता में रहना बर्दाश्त नहीं कर सकती.
इस बीच बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने राजनीतिक प्रतिशोध के आरोपों को खारिज किया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, बसपा सुप्रीमो मायावती और पंजाब में अकाली दल के नेताओं के उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि केवल गलत काम के दोषी लोगों के खिलाफ ही केंद्रीय एजेंसियां कार्रवाई करती हैं.
उन्होंने हाल ही में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई के विरोध में कई विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजे गए पत्र पर हस्ताक्षर करने से नीतीश कुमार के इनकार करने को लेकर उनकी प्रशंसा की.
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