पाकिस्तान मूल के आज़ाद मलिक केस में बिप्लब सरकार के ठिकानों की नये सिरे से ED कर रही तलाशी

ईडी ने यह जांच पश्चिम बंगाल पुलिस की उस एफआईआर के आधार पर शुरू की थी, जो विदेशी नागरिक कानून (Foreigners Act), 1946 की धारा 14 और 14A के तहत आज़ाद मलिक के खिलाफ दर्ज की गई थी.

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  • ED ने पाकिस्तानी नागरिक अहमद हुसैन आज़ाद के पासपोर्ट धोखाधड़ी मामले की जांच का दायरा बढ़ाया है.
  • आज़ाद मलिक बांग्लादेशी नागरिकों को पैसे लेकर भारतीय पासपोर्ट और पहचान पत्र दिलाने में शामिल था.
  • इंदु भूषण हलदार फर्जी दस्तावेज बनाकर पासपोर्ट बनवाने का काम करता था.
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पाकिस्तानी नागरिक अहमद हुसैन आज़ाद उर्फ़ आज़ाद मलिक से जुड़े पासपोर्ट धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच का दायरा बढ़ गया है. बिप्लब सरकार के परिसरों में नए सिरे से तलाशी ली जा रही है, जिन पर उनके स्थानीय मददगारों में से एक होने का संदेह है. सूत्रों के अनुसार, ईडी अधिकारियों ने सरकार के आवास और अन्य संबंधित ठिकानों पर छापेमारी की. उन्हें इस बात का सुराग मिला था कि उन्होंने पैसे के बदले विदेशियों के लिए भारतीय पासपोर्ट की धोखाधड़ी से व्यवस्था करने में एक एजेंट के रूप में काम किया. कथित तौर पर उनका नाम इंदु भूषण हलदर से पूछताछ के दौरान सामने आया था, जिसे पहले गैर-भारतीयों को भारतीय पहचान पत्र हासिल करने में मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

अधिकारियों ने कहा कि सरकार के परिवार के सदस्य भी इसी अवैध नेटवर्क में संभावित संलिप्तता के लिए जांच के दायरे में हैं. एजेंसी सरकार और आज़ाद के बीच वित्तीय संबंधों के सबूतों की जांच कर रही है, जिसमें संदिग्ध धन हस्तांतरण और दस्तावेज़ों का लेन-देन शामिल हैं.

ईडी ने यह जांच पश्चिम बंगाल पुलिस की उस एफआईआर के आधार पर शुरू की थी, जो विदेशी नागरिक कानून (Foreigners Act), 1946 की धारा 14 और 14A के तहत आज़ाद मलिक के खिलाफ दर्ज की गई थी. जांच में पता चला कि आज़ाद हुसैन, जो असल में पाकिस्तान का नागरिक है, भारत में ‘आज़ाद मलिक' नाम से फर्जी भारतीय पहचान बनाकर रह रहा था. वह बांग्लादेशी नागरिकों के लिए पैसे लेकर भारतीय पहचान पत्र और पासपोर्ट बनवाने के काम में शामिल था. आज़ाद हुसैन को ईडी ने पहले ही 15 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार कर लिया था और वह वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है. 

कैसे चलता था फर्जीवाड़ा

ईडी की जांच में सामने आया कि आज़ाद हुसैन उर्फ आज़ाद मलिक उन बांग्लादेशी नागरिकों को इंदु भूषण हलदार तक पहुंचाता था, जो भारतीय पासपोर्ट बनवाना चाहते थे. इंदु भूषण हलदार, जो नदिया ज़िले के चाकदह का रहने वाला है, फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर पासपोर्ट आवेदन करवाता था.  अब तक करीब 250 पासपोर्ट फर्जीवाड़े के मामलों में उसकी संलिप्तता सामने आई है. इन फर्जी पासपोर्टों के ज़रिए वह काले धन की कमाई (Proceeds of Crime) कर रहा था.

अदालत से भी झटका

इंदु भूषण हलदार की ज़मानत याचिका पहले स्पेशल पीएमएलए कोर्ट, बिचार भवन, कोलकाता और फिर कलकत्ता हाईकोर्ट में भी रद्द हो चुकी है. इस केस में ईडी ने पहले ही 13 जून 2025 को आज़ाद हुसैन उर्फ आज़ाद मलिक उर्फ अहमद हुसैन आज़ाद के खिलाफ PMLA के तहत चार्जशीट दायर की थी. 19 जून 2025 को कोलकाता सिटी सेशन कोर्ट ने इस चार्जशीट पर संज्ञान भी ले लिया है. ईडी ने बताया कि इस मामले में विदेशी नागरिकों को भारतीय पहचान देने वाले रैकेट की जांच जारी है. संभावना है कि अन्य बिचौलियों और सहयोगियों की भी जल्द गिरफ्तारी हो सकती है.

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