ED ने अलकेमिस्ट ग्रुप से जुड़ी 127.3 करोड़ की संपत्तियां की अटैच, पढ़ें क्या है पूरा मामला

ईडी के मुताबिक ठगी से कमाया गया पैसा जटिल वित्तीय लेनदेन के जरिए अलग-अलग कंपनियों में ट्रांसफर किया गया ताकि असली सोर्स को छिपाया जा सके.

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नई दिल्ली:

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पंचकूला स्थित दो अस्पतालों  अलकेमिस्ट हॉस्पिटल और ओजस हॉस्पिटल  में हिस्सेदारी के रूप में 127.3 करोड़ रुपये की संपत्ति अस्थायी तौर पर अटैच की है. ये संपत्तियां कनवर्डीप सिंह के बेनिफिशियल ओनरशिप वाली बताई गई हैं. कार्रवाई PMLA के तहत की गई है. ईडी की यह कार्रवाई अलकेमिस्ट ग्रुप, उसके डायरेक्टरों और प्रमोटरों से जुड़े एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस का हिस्सा है. जांच की शुरुआत कोलकाता पुलिस की एफआईआर से हुई थी, जिसे बाद में सीबीआई, एसीबी लखनऊ ने आगे बढ़ाया. यह मामला अलकेमिस्ट टाउनशिप प्राइवेट लिमिटेड, अलकेमिस्ट इंफ्रा रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड, और उनके डायरेक्टर कनवर्डीप सिंह समेत अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया था. 

अभी तक जांच में सामने आया कि इन कंपनियों ने निवेशकों को झूठे वादों और ऊंचे मुनाफे के लालच में फंसाकर फर्जी कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम्स के जरिए करीब 1,848 करोड़ रुपये जुटाए. बाद में इन पैसों को अवैध तरीकों से दूसरी कंपनियों में घुमाकर इस्तेमाल किया गया. ईडी के मुताबिक ठगी से कमाया गया पैसा जटिल वित्तीय लेनदेन के जरिए अलग-अलग कंपनियों में ट्रांसफर किया गया ताकि असली सोर्स को छिपाया जा सके. बाद में इन्हीं पैसों से अलकेमिस्ट हॉस्पिटल और ओजस हॉस्पिटल में हिस्सेदारी ली गई और निर्माण कराया गया.

इन दोनों अस्पतालों में प्लेसिड एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी की 40.93% और 37.23% हिस्सेदारी है, जो कि कनवर्डीप सिंह की ही बताई गई है. अब इसी हिस्सेदारी की कीमत 127.3 करोड़ रुपये है, जिसे ईडी ने अटैच किया है. इससे पहले ईडी ने कनवर्डीप सिंह को 12 जनवरी 2021 को गिरफ्तार किया था. इसके बाद 2 मार्च 2021 को ईडी ने अदालत में पहला चार्जशीट दाखिल किया था. 19 जुलाई 2024 और 11 सितंबर 2025 को दो सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दाखिल की गईं.

अब तक ईडी 6 अलग-अलग अटैचमेंट ऑर्डर जारी कर चुकी है, जिनमें कुल 365.42 करोड़ रुपये की संपत्तियां (चल और अचल दोनों) फ्रीज़ की जा चुकी हैं. इनमें अलकेमिस्ट और ओजस हॉस्पिटल में सोरस एग्रीटेक प्राइवेट लिमिटेड के जरिए रखी गई हिस्सेदारी भी शामिल हैं. ईडी ने कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग और निवेश ठगी से जुड़ी आगे की जांच अभी जारी है. 

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