आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 7.5 से आठ प्रतिशत रहेगी : फिक्की अध्यक्ष

उल्लेखनीय है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7.8 प्रतिशत रही है. वहीं दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में यह 7.6 प्रतिशत रही. इस हिसाब से पहली छमाही में वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रही.

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सरकार को विदेशों से उत्पन्न समस्याओं से निपटने के लिए वृद्धि की गति को जारी रखने की जरूरत: FICCI President
नई दिल्ली:

उद्योग मंडल फेडरेनशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स इंड इंडस्ट्री (फिक्की) के नवनियुक्त अध्यक्ष अनीश शाह ने सोमवार को कहा कि मजबूत आर्थिक गतिविधियां, सकारात्मक धारणा और निजी निवेश बढ़ने के साथ उद्योग चालू वित्त वर्ष में 7.5 से आठ प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष 2024-25 में आठ प्रतिशत वृद्धि दर की उम्मीद कर रहा है.

उन्होंने कहा कि हालांकि वैश्विक स्तर पर संकट से आर्थिक वृद्धि के समक्ष चुनौतियां भी हैं.

महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह के सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) और प्रबंध निदेशक शाह ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, ‘‘हमने अबतक 7.8 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत वृद्धि के बेहतर आंकड़े देखे हैं. मजबूत आर्थिक गतिविधियों को देखते हुए मेरा मानना है कि यह स्थिति बनी रहेगी. हम देख रहे हैं कि कई कंपनियां निवेश कर रही हैं, क्षमता बढ़ा रही हैं. ''

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत से आठ प्रतिशत के बीच रहेगी. वहीं अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर आठ प्रतिशत या उससे अधिक रह सकती है.''

उल्लेखनीय है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7.8 प्रतिशत रही है. वहीं दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में यह 7.6 प्रतिशत रही. इस हिसाब से पहली छमाही में वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रही.

अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों के बारे में शाह ने कहा, ‘‘प्राथमिक कारण भारत से बाहर है. इस्राइल और गाजा के अलावा यूक्रेन में जो हो रहा है, उसको लेकर दबाव है. हमारा अनुमान है कि ये दबाव और अधिक नहीं बढ़ेगा. सभी शांति चाह रहे हैं.''

उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी चिंता पश्चिमी देशों के समक्ष उत्पन्न आर्थिक समस्याएं हैं. हमें नहीं लगता कि वहां समस्याएं अभी तक कम हुई हैं. भारत में हमने जो देखा है, वहां ब्याज दर उससे कहीं अधिक ऊंचे स्तर पर है. यदि पश्चिमी दुनिया में अधिक आर्थिक प्रभाव पड़ता है, तो इसका असर भारत पर पड़ेगा. ये दो प्रमुख चीजें हैं, जो चिंता का कारण हैं.''

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शाह ने कहा कि सरकार को विदेशों से उत्पन्न समस्याओं से निपटने के लिए वृद्धि की गति को जारी रखने की जरूरत है.

भारतीय कंपनियों के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘धारणा सकारात्मक है, निवेश गति पकड़ रही है और क्षमता वृद्धि जारी है...मांग लगातार बढ़ रही है और आर्थिक वृद्धि जारी है, ऐसे में निवेश की गति आगे और बढ़ेगी.''

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एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा कि फिक्की का ध्यान ‘मेक इन इंडिया' पहल, महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास, कृषि क्षेत्र की समृद्धि और उसे भरोसेमंद बनाने पर होगा ताकि देश को 2047 तक ‘विकसित भारत' के लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद मिल सके.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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