Earthquake in Delhi-NCR: दिल्ली में आया भूकंप, काफी देर तक हिलती रही धरती

Earthquake in Delhi-NCR: दिल्ली एनसीआर के कई हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. दिल्ली और आसपास के कई क्षेत्रों में लोगों ने इसे महसूस किया है.

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नई दिल्ली:

Earthquake in Delhi-NCR: दिल्ली-NCR समेत देश के कई हिस्सों में मंगलवार रात को भूकंप के झटके महसूस किए गए. समाचार एजेंसी ANI की जानकारी के मुताबिक, रात करीब सवा 10 बजे भूकंप के झटके करीब 30 सेकेंड तक महसूस किए गए. सीस्मोलॉजी विभाग के मुताबिक भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान से 90 किमी दूर कालाफगन में था. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.6 मापी गई. भूकंप से अभी तक जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं आई है. हालांकि, ANI के मुताबिक, ईस्ट दिल्ली के शकरपुर में एक बिल्डिंग के झुकने की सूचना है.

जानकारी के मुताबिक, भारत में दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. भारत के अलावा, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कजाकिस्तान और चीन में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए.
 

घरों से बाहर निकले लोग
भूकंप के कारण कुछ जगहों पर लोगों के बीच दहशत फैल गई और लोग घरों से बाहर निकल गए. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में लोगों सड़कों पर निकल गए.  जम्मू-कश्मीर में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए जाने के बाद श्रीनगर में लोग अपने घरों से बाहर निकल आए.

 पूर्वोत्तर अफगानिस्तान में था भूकंप का केंद्र
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, भूकंप का केंद्र पूर्वोत्तर अफगानिस्तान में था. इसकी गहराई 187 किलोमीटर (116 मील) थी. अफगानिस्तान अक्सर भूकंपों से प्रभावित होता है. खासकर हिंदूकुश पर्वत श्रृंखला में अक्सर भूकंप आते रहते हैं. ये इलाका यूरेशियन और भारतीय टेक्टोनिक प्लेटों के जंक्शन के पास स्थित है. इसका यहां आए भूकंप का असर भारत और इसके पड़ोसी देशों में भी पड़ता है.

अफगानिस्तान में आया था विनाशकारी भूकंपअफगानिस्तान में पिछले साल 22 जून को पक्तिका प्रांत में भूकंप आया था. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.9 मापी गई थी. इस भूकंप में 1000 से अधिक लोग मारे गए, जबकि हजारों लोग बेघर हो गए थे. ये अफगानिस्तान में लगभग एक चौथाई सदी का सबसे घातक भूकंप माना जाता है.

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जानिए क्यों आता है भूकंप?
पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है. ये प्लेट्स जो लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्‍ता खोजती है और इस डिस्‍टर्बेंस के बाद भूकंप आता है. 


कैसे मापी जाती है तीव्रता? 
भूकंप की जांच रिक्टर स्केल से की जाती है. रिक्‍टर स्‍केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना होता है, इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. ये स्‍केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा के आधार पर तीव्रता को मापता है.

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