राजस्व खुफिया निदेशालय ने गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से दो कंटेनरों में लगभग 21,000 करोड़ रुपये मूल्य की 3,000 किलोग्राम अफगान हेरोइन जब्त की थी. सूत्र के अनुसार अब इस मामले में डीआरआई की लखनऊ और नोएडा की इकाइयों ने एक जॉइंट ऑपेरशन में भारत में इस ड्रग कार्टेल के प्रमुख को शिमला से गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी को उसके सहयोगी, एक अफगान नागरिक के साथ सोमवार देर रात गिरफ्तार किया गया था. दोनों को बुधवार को नोएडा लाया गया और कस्टम मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर जेल भेज दिया गया.
अधिकारियों के अनुसार, पिछले सप्ताह चार अफगान नागरिकों और एक उज़्बेक महिला को गिरफ्तार किया गया था जिनसे डीआरआई को इनपुट मिला था कि देश में ड्रग कार्टेल का प्रमुख हिमाचल प्रदेश भाग गया है. वो पिछले साल तालाबंदी के बाद भारत आया था, जबकि उसका अफगान दुभाषिया सहयोगी लगभग पांच वर्षों से देश में रह रहा है. पूछताछ के दौरान, मुख्य आरोपी ने एक अफगान सुरक्षा प्रवर्तन एजेंसी का पूर्व सदस्य होने का दावा किया और कहा कि उसने देश में नशीली दवाओं के व्यापार संचालन और पैसे के लेनदेन की निगरानी की.
डीआरआई के अधिकारियों ने कहा कि आरोपी भारत से परिचित था क्योंकि वह कई बार देश का दौरा कर चुका था. इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से चार अफगान नागरिक पकड़े गए थे जो 'ड्रग पैडलर' थे. ये सभी ड्राई फ्रूट्स बेचने वाले स्ट्रीट वेंडर के रूप में काम करते थे लेकिन पब, क्लब और पार्टियों में हेरोइन बेचते थे. एक किलो हेरोइन कीमत 7 करोड़ रुपए तक होती थी. एक उज़्बेक महिला भी गिरफ्तार हुई है जो एक डांसर है, जो अपने अमीर ग्राहकों को पार्टियों और पबों में ड्रग्स बेचने का काम करती थी.
डीआरआई ने आरोपी के पास से 70 करोड़ रुपये की हेरोइन, कोकीन और अन्य प्रतिबंधित सामग्री भी जब्त की और उसके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया. ड्रग कारोबार से कमाए पैसे को हवाला नेटवर्क के माध्यम से अफगानिस्तान में एक पूर्व ड्राई फ्रूट्स निर्यातक किंगपिन को वापस भेज दिया जाता था. इस पैसे का इस्तेमाल प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया था. ड्रग की ये खेप ईरान के अब्बास पोर्ट से अर्शी ट्रेडिंग कंपनी द्वारा आयात करवाई गई थी. ये कंपनी आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा की है, डीआरआई ने मालिकों को गिरफ्तार कर लिया है.