ड्राइवर, निर्माण क्षेत्र के मजदूरों को भी मिलेगा बीमा-फंड, सभी क्षेत्रों में न्यूनतम मजदूरी मिलेगी

Union Budget 2021 Social Security : सरकार एक पोर्टल लांच करेगी, जहां गिग इंडस्ट्री के वर्करों का पूरा ब्योरा इकट्ठा किया जाएगा. इसके तहत प्रवासी मजदूरों के लिए स्वास्थ्य, आवास, स्किल, बीमा और फूड स्कीम का लाभ दिया जा सकेगा. 

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Gig and Platform workers को भी मिलेगा सामाजिक सुरक्षा का लाभ
नई दिल्ली:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट ( Union Budget 2021) में ऐलान किया है कि सरकार गिग (GIG) इंडस्ट्री (फ्रीलांसिंग या कांट्रैक्ट पर काम करने वाले), बिल्डिंग एंड कंस्ट्रक्शन वर्कर्स, ड्राइवरों को भी बीमा-फंड, सस्ते कर्ज जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ देगी. इसके लिए सरकार एक पोर्टल लांच करेगी, जहां गिग इंडस्ट्री के वर्करों का पूरा ब्योरा इकट्ठा किया जाएगा. इसके तहत प्रवासी मजदूरों के लिए स्वास्थ्य, आवास, स्किल, बीमा और फूड स्कीम का लाभ दिया जा सकेगा. 

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार चारों श्रम संहिता (Labor Code) और सामाजिक सुरक्षा लाभों को को लागू करते हुए इसका फायदा देते हुए गिग एवं प्लेटफॉर्म वर्कर्स (Gig and Platform workers) को देगी. सीतारमण ने कहा कि हमने 20 साल पहले शुरू किए गए चार लेबर कोड को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पहली बार होगा कि गिग (स्वतंत्र, फ्रीलांसिंग, कांट्रैक्ट वर्कर्स) के कर्मियों को भी सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिया जाएगा.

वित्त मंत्री ने कहा कि सभी वर्ग के कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी का कानून भी लागू होगा. ये सभी राज्य कर्मचारी बीमा निगम के तहत (ESIC) का लाभ उठा सकेंगे. महिलाएं पर्याप्त सुरक्षा के साथ नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी. कर्मचारियों को बीमा, फंड और अन्य जरूरतों के लिए ज्यादा कागजी कार्यवाही नहीं करनी पड़ेगी. उन्हें एक ही जगह रजिस्ट्रेशन, लाइसेंसिंग और ऑनलाइन रिटर्न की सुविधा मिलेगाी.

डेलॉयट इंडिया की टैक्स पार्टनर सरस्वती कस्तूरीरंगन ने कहा कि गिग एवं प्लेटफॉर्म वर्कर्स तक सामाजिक सुरक्षा का लाभ पहुंचाना और सक्षी क्षेत्रों में न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करना अहम कदम है. पहली बार सामाजिक सुरक्षा संहिता (Social Security Code 2020) में GIG एवं प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले कामगारों समेत समूचे कार्यबल के लिये बीमा-फंड, इलाज जैसी सामाजिक सुरक्षा का संकेत दिया गया था. इन वर्गों के अस्थायी कर्मचारी प्रोविडेंट फंड, समूह बीमा और पेंशन से वंचित रहते थे.भारत में 50 करोड़ के कार्यबल में 40 करोड़ असंगठित क्षेत्र के हैं, जिनमें कृषि और ग्रामीण कर्मचारी शामिल हैं.

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