केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का मुहूर्त निकला, इस दिन से दर्शन कर सकेंगे भक्त

सर्दियों में भारी बर्फवारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सभी चारों धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं जो अगले साल दोबारा अप्रैल-मई में खोले जाते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 19 mins
मुख्य पुजारी की उपस्थिति में पंचांग गणना के पश्चात केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का मुहूर्त निकाला गया.
उखीमठ:

उत्तराखंड के उच्च गढवाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल में छह माह बंद रहने के बाद इस साल छह मई को दोबारा श्रद्धालुओं के लिए खोले जायेंगे. श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के जनसंपर्क अधिकारी हरीश गौड़ ने बताया कि यहां ओंकारेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आयोजित संक्षिप्त धार्मिक समारोह में मुख्य पुजारी रावल भीमाशंकर की उपस्थिति में पंचांग गणना के पश्चात केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का मुहूर्त निकाला गया.

उन्होंने बताया कि रूद्रप्रयाग जिले में स्थित 11वें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ के कपाट शुक्रवार छह मई को प्रात: 06:25 बजे वृश्चिक लग्न में खोले जाएंगे. मुहूर्त निकाले जाने के अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, केदारनाथ के निवर्तमान विधायक मनोज रावत, उखीमठ के उपजिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा सहित धार्मिक एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे.

सर्दियों में भारी बर्फवारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सभी चारों धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं जो अगले साल दोबारा अप्रैल-मई में खोले जाते हैं.

Advertisement

यह भी पढ़ें

मंदार पर्वत को क्यों माना जाता है 3 धर्मों का संगम स्थल, समुद्र मंथन से लेकर महाभारत तक जुड़ी हैं मान्यताएं
असम सरकार ने कामाख्या मंदिर मार्ग का नाम बदलने का फैसला विरोध के बाद लिया वापस
काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद बनारस के लकड़ी खिलौना उद्योग के दिन फिरे, मांग बढ़ी

Advertisement

बनारस का कबीर मठ, मौजूदा सियासत के लिए 'इशारों इशारों में' देता है अहम संदेश

Advertisement
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
India Pakistan Tension: पाकिस्तान के खिलाफ भारत के स्वदेशी हथियारों ने कैसे पराक्रम का परचम लहराया?
Topics mentioned in this article