बिहार में डोमिसाइल लागू, क्या है नियम और छात्र क्यों कर रहे थे मांग... जानें हर एक बात

चुनावी साल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा TRE 4 और 5 में डोमिसाइल नियम लागू करने का फैसला न सिर्फ एक चुनावी दांव है, बल्कि यह बिहार के युवाओं की लंबे समय से उठाई जा रही मांग का सम्मान भी है.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
Domicile in Bihar: पूरी हुई बिहार में छात्रों की डोमिसाइल की मांग.
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने TRE 4 और 5 शिक्षक भर्ती परीक्षा में डोमिसाइल नियम लागू करने का फैसला किया है.
  • डोमिसाइल नियम के तहत केवल बिहार के स्थायी निवासी ही शिक्षक भर्ती परीक्षा में भाग लेने के पात्र होंगे.
  • युवाओं ने स्थानीय भाषा, संस्कृति और रोजगार के अवसरों के संरक्षण के लिए डोमिसाइल लागू करने की मांग की थी.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
पटना:

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं को साधने के लिए बड़ा दांव चला है. मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि TRE 4 और 5 (Teacher Recruitment Examination) में अब डोमिसाइल नियम लागू किया जाएगा. यानी अब केवल बिहार के स्थायी निवासी ही इस परीक्षा में भाग लेने के पात्र होंगे.

मुख्यमंत्री ने इस एलान को "बिहार के युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने" की दिशा में एक बड़ा कदम बताया. उनका कहना था कि राज्य के युवा काफी समय से इस मांग को लेकर आंदोलनरत थे और अब सरकार ने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए ये निर्णय लिया है.

ये फैसला ऐसे समय में आया है, जब राज्य में चुनावी माहौल गरम है और विपक्षी दल लगातार सरकार पर रोजगार और शिक्षा के मोर्चे पर विफल रहने के आरोप लगा रहे हैं. माना जा रहा है कि डोमिसाइल लागू करने का यह फैसला युवाओं के एक बड़े वर्ग को लुभाने की रणनीति का हिस्सा है.

क्या है डोमिसाइल नियम?

डोमिसाइल का मतलब होता है — स्थायी निवास प्रमाण पत्.। TRE 4 और 5 में इसके लागू होने का मतलब यह है कि केवल वही अभ्यर्थी परीक्षा में बैठ सकेंगे, जो बिहार के मूल निवासी हैं और जिनके पास वैध डोमिसाइल सर्टिफिकेट होगा.

छात्र डोमिसाइल की मांग क्यों कर रहे थे?

1. बाहर से बढ़ती प्रतिस्पर्धा का डर

बिहार के शिक्षक बहाली (TRE) में देश के किसी भी राज्य के अभ्यर्थी भाग ले सकते थे. खासकर उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी बिहार में आवेदन करते थे. इससे स्थानीय युवाओं को महसूस हुआ कि वे अपने ही राज्य में नौकरी से वंचित हो रहे हैं.

2. बेरोजगारी पहले से ही एक बड़ी समस्या

बिहार की बेरोजगारी दर पहले से ही काफी अधिक है. जब बाहरी अभ्यर्थी नियुक्त होते हैं, तो स्थानीय युवाओं के अवसर और भी कम हो जाते हैं.

3. स्थानीय भाषा और संस्कृति की समझ का अभाव

छात्र और शिक्षक संगठनों का तर्क था कि बिहार के स्कूलों में पढ़ाने के लिए स्थानीय भाषा, बोली और सामाजिक संदर्भ की समझ जरूरी है. बाहरी अभ्यर्थियों को यह समझ अपेक्षाकृत कम होती है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है.

Advertisement

4. अन्य राज्यों में डोमिसाइल पहले से लागू

छात्रों ने यह भी तर्क दिया कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे राज्यों में शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल पहले से अनिवार्य है. ऐसे में बिहार में डोमिसाइल लागू न होना "एकतरफा प्रतिस्पर्धा" माना जा रहा था.

5. स्थानीय प्रतिनिधित्व की भावना

छात्रों का मानना था कि शिक्षण जैसी प्रतिष्ठित सेवा में स्थानीय युवाओं को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. इससे राज्य में स्थायित्व और सामाजिक संतुलन भी बना रहेगा.

Advertisement

क्या मांग पूरी होने से समाधान होगा?

डोमिसाइल लागू होने से बिहार के छात्रों को ज़रूर राहत मिलेगी, लेकिन यह शिक्षा व्यवस्था की व्यापक सुधार प्रक्रिया का सिर्फ एक हिस्सा है. भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता, पाठ्यक्रम की गुणवत्ता और प्रशिक्षण तंत्र जैसे पहलुओं पर भी समान रूप से ध्यान देना जरूरी है.

इस मामले पर जेडीयू मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यहित में TRE 4 और 5 मैं शिक्षकों की बहाली की घोषणा की और डोमिसाइल नीति लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया. बिहार युवाओं के लिए तो हमने यह फैसला ले लिया लेकिन अब विपक्ष खास कर राष्ट्रीय जनता दल यह नजीर पेश करे कि हरियाणा से लाकर आप राज्यसभा नामित करते हैं, बिहार के कार्यकर्ता की हाकमरी करते हैं.

Advertisement

इस मामले पर भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि शिक्षकों की बहाली में बिहार के निवासियों को प्राथमिकता देते हुए, TRE 4 से इसे लागू करने का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का निर्णय ऐतिहासिक है और स्वागत योग्य है.

वहीं, इस मामले पर छात्र नेता दिलीप ने कहा कि आज बिहार के युवाओं के लिए बहुत ही खुशी की बात है. हम लोग 5 जून संपूर्ण क्रांति दिवस के अवसर पर जो डोमिसाइल आंदोलन शुरू किए थे, बिहार सरकार और खासकर के नीतीश कुमार से लगातार यह मांग कर रहे थे कि बिहार की भर्तियों में डोमिसाइल लागू किया जाए, तो आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डोमिसाइल लागू करने की घोषणा कर दी है. यह बिहार के युवाओं के साथ न्याय हुआ है.

Advertisement

युवाओं की लंबे समय से उठाई जा रही मांग का सम्मान

चुनावी साल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा TRE 4 और 5 में डोमिसाइल नियम लागू करने का फैसला न सिर्फ एक चुनावी दांव है, बल्कि यह बिहार के युवाओं की लंबे समय से उठाई जा रही मांग का सम्मान भी है. यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब युवाओं में बेरोजगारी और अवसरों की कमी को लेकर गहरा असंतोष था.

सरकार के इस निर्णय का सत्तापक्ष और छात्र संगठनों ने जोरदार स्वागत किया है, वहीं विपक्ष पर अब यह दबाव है कि वह भी अपने स्तर पर स्थानीय युवाओं के हक़ में ठोस पहल करे. यह भी स्पष्ट है कि डोमिसाइल लागू होना केवल शुरुआत है, व्यवस्था में पारदर्शिता, गुणवत्ता और प्रशिक्षण सुधार जैसे मुद्दों पर आगे भी ध्यान देना होगा.

कुल मिलाकर, यह निर्णय बिहार के युवाओं को स्थानीय अवसरों में प्राथमिकता देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा सकता है. जिसका असर आने वाले विधानसभा चुनावों पर भी साफ देखा जा सकता है.

ये भी पढ़ें: सीएम नीतीश का बड़ा ऐलान, बिहार में शिक्षकों की बहाली में डोमिसाइल नीति लागू

Featured Video Of The Day
Aniruddhacharya Comment: कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के बयान पर भड़कीं Alka Lamba