अंतरिक्ष में चीन की सैटेलाइट डॉग फाइट ड्रिल, क्‍या वाकई है भारत के लिए चिंता की बात?  

साल 2010 तक चीन के पास सिर्फ 36 सैटेलाइट थे जो अब बढ़कर करीब 1000 हो गए हैं. इनमें से 360 सैटेलाइट्स इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस (ISR) लिए हैं.

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नई दिल्‍ली:

ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान पर भारत की निर्णायक जीत, लेकिन अब वायुसेना के सामने चीन की सर्विलांस और अंतरिक्ष क्षमता की चिंता है. हाल ही में चीन ने लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में सैटेलाइट 'डॉग फाइट' ड्रिल को अंजाम दिया है जिससे पूरी दुनिया हैरान है. इसकी जानकारी चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (CIDS) एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने खुद दी. दिल्ली में आयोजित सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज (CAPS) के सेमिनार में एयर मार्शल दीक्षित ने इससे जुड़ा एक बयान दिया है जो काफी अहम माना जा रहा है. 

ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कई बातें 

ऑपरेशन सिंदूर ने साबित किया कि स्वदेशी सैन्य प्लेटफॉर्म अंतरराष्ट्रीय मानकों से भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. उन्होंने वायुसेना के इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) और थलसेना की ‘आकाशतीर' प्रणाली की भी सराहना की. एयर मार्शल दीक्षित ने कहा है कि युद्ध के दौरान जो पहले, दूर और सटीक देख सकेगा, वही आगे रहेगा.  उनका कहना था कि ऑपरेशन सिंदूर ने ये भी दिखाया है कि स्कैल्प, हैमर, ब्रह्मोस और स्वार्म ड्रोन हमले अब किसी भी भौगोलिक बाधा को अप्रासंगिक बना रहे हैं.  ऐसे में डीप सर्विलांस की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा है. 

चीन के सैटेलाइट्स में इजाफा 

एयर मार्शल दीक्षित ने कहा कि साल 2010 तक चीन के पास सिर्फ 36 सैटेलाइट थे जो अब बढ़कर करीब 1000 हो गए हैं. इनमें से 360 सैटेलाइट्स इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस (ISR) लिए हैं. साथ ही, चीन ने हाल ही में एक अलग एयरोस्पेस फोर्स कमांड भी खड़ा किया है. सैटेलाइट डॉग फाइट ड्रिल के बारे में उन्होंने कहा कि इस अभ्यास में चीन ने शत्रु की सैटेलाइट को ट्रैक करने और उसे जाम करने का अभ्यास किया है. चीन अब अपनी ISR सैटेलाइट्स को हथियार सिस्‍टम से भी जोड़ रहा है. 

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तीनों सेनाओं के लिए सुझाव 

अंत में उन्होंने तीनों सेनाओं के लिए अहम सुझाव भी दिया. उन्‍होंने कहा कि भारत को भी जल, थल, नभ, अंतरिक्ष और साइबर जैसे सभी डोमेन्स से मिलने वाले सर्विलांस डेटा को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की मदद से नेटवर्क-सेंट्रिक बनाना होगा ताकि हर स्तर पर समन्वय बेहतर हो सके और खतरों का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सके. 

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