मौसमी बुखार, सर्दी, खांसी में एंटीबायोटिक लिखने से बचें डॉक्टर: H3N2 के बढ़ते मामलों के बीच IMA की सलाह

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नोटिस में कहा गया है कि वायु प्रदूषण इन वायरस के लिए बड़ी वजह हो सकता है. ऐसे में मौसमी बुखार,सर्दी या फिर खांसी होने की सूरत में एंटीबायोटिक दवाओं को प्रिस्क्राइब न करें.

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बुखार, सर्दी, खांसी होने पर डॉक्टर से मिले.
नई दिल्ली:

भारत में कुछ दिनों से इन्फ्लुएंजा एच3एन2 (H3N2) वायरस के काफी मामले दर्ज हो रहे हैं. ऐसे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने डॉक्टरों को सलाह दी है कि वो मरीजों एंटीबायोटिक लिखने से बचें. दरअसल मौसम बदलने के साथ बुखार, सर्दी, खांसी के केस तेजी से बढ़े हैं. इसको देखते हुए IMA ने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर कहा है कि  National Centre for Disease Control (NCDC) के मुताबिक इस तरह के ज्यादातर केस H3N2 वायरस के हो सकते हैं.

इस वजह से बढ़ रहे हैं मामले

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नोटिस में कहा गया है कि वायु प्रदूषण इन वायरस के लिए बड़ी वजह हो सकता है. ऐसे में मौसमी बुखार, सर्दी या फिर खांसी होने की सूरत में एंटीबायोटिक दवाओं को प्रिस्क्राइब न करने की सलाह दी है. IMA की तरफ से कहा गया है कि बुखार तीन दोनो में चला जाता है. लेकिन खांसी तीन हफ्ते तक बनी रहती है. ऐसा 50 साल से ऊपर और 15 साल के नीचे के लोगों में होता है.

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बढ़ते मामलों के बीच, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने इन्फ्लुएंजा ए उपप्रकार H3N2 (Influenza A subtype H3N2) को भारत में बढ़ती सांस की बीमारी का प्रमुख कारण बताया है.

कब कराएं जांच

अगर आपको तेज बुखार है, जो कि जा नहीं रहा है. शरीर में दर्द की शिकायत है और साथ ही खांसी की समस्या है. तो आप डॉक्टर से जरूर मिलें और अपनी जांच करवाएं.

ऐसे करें बचाव 

अपने हाथों को समय-समय पर साबुन से साफ करें.

घर में किसी को बुखार, सर्दी, खांसी होने पर उनसे दूरी बनाएं रखें.

बार-बार नाक और मुंह को छूने से बचें.

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