डॉक्टरों ने दुर्लभ ऑपरेशन कर बुजुर्ग के हृदय के वॉल्व से हटाई ‘फंगल बॉल’

डॉक्टर (Doctor) ने कहा कि फंगल इंडोकार्डिटिस बेहद असामान्य मामला है जो दिल के महाधमनी (Aorta) वॉल्व में होता है. इस मरीज में फंगल बॉल ने हृदय के महाधमनी वॉल्व के सात सेंटीमीटर क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया था और यह भी बेहद दुर्लभ स्थिति है.

विज्ञापन
Read Time: 12 mins
डॉक्टरों ने दुर्लभ ऑपरेशन कर बुजुर्ग के हृदय के वॉल्व से ‘फंगल बॉल’हटाई है. (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:

धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों (Doctors) ने एक बार फिर अनोखा कारनामा कर दिखाया है. चिकित्सकों के एक दल ने जटिल सर्जरी (complex surgery) कर दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त एक बुजुर्ग के हृदय के वॉल्व से “छह सेंटीमीटर लंबी फंगल बॉल” निकाली है. अस्पताल के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

यहां संवाददाताओं से बात करते हुए मरीज सुरेश चंद्र ने बताया कि वह मई 2021 में कोविड-19 की चपेट में आ गए थे और घर पर ही पृथकवास पूरा किया था. चंद्र ने कहा कि कुछ महीनों बाद उन्हें कफ और तेज बुखार की शिकायत नियमित तौर पर रहने लगी. उन्होंने कहा, “मैंने कई डॉक्टरों से संपर्क किया. सभी को यह लगा कि यह कोविड के बाद होने वाली परेशानी है और इसे फेफड़ों का संक्रमण माना.” पूर्व में उनकी महाधमनी (एओर्टिक) का वॉल्व बदला गया था.

अधिकारियों ने बताया कि चंद्र इसके बाद फोर्टिस अस्पताल में डॉक्टरों के पास गए जहां जांच में पता चला कि यह एक दुर्लभ फंगल संक्रमण ‘इंफेक्टिव इंडोकार्डिटिस' है.” अस्पताल के एक बयान में कहा गया कि गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में कार्डियोथोरेसिक एवं वेस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) के प्रमुख व निदेशक डॉ. उद्गीथ धीर के नेतृत्व में चिकित्सकों के एक दल ने इस मामले को देखा और एक जटिल सर्जरी के बाद मरीज के हृदय के वॉल्व से छह सेंटीमीटर लंबी ‘फंगल बॉल' निकाली गई.

इसमें कहा गया, 'यह बेहद दुर्लभ मामला है जो कई बार हृदय का ऑपरेशन कराने वाले मरीजों में पाया जाता है और ऐसे मामलों में मरीज के बचने की संभावना 50 प्रतिशत ही रहती है.' उन्होंने कहा कि ऑपरेशन कुछ महीने पहले हुआ था. चिकित्सकों की देखरेख में ऑपरेशन के बाद “45 दिनों तक नसों के जरिये एंटी फंगल दवा दी गई. मरीज की हालत को स्थिर किया गया और अब वह पूरी तरह से ठीक है.'

डॉ. धीर ने कहा, "फंगल इंडोकार्डिटिस बेहद असामान्य मामला है जो दिल के महाधमनी वॉल्व में होता है. इस मरीज में फंगल बॉल ने हृदय के महाधमनी वॉल्व के सात सेंटीमीटर क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया था और यह भी बेहद दुर्लभ स्थिति है."

उन्होंने कहा, "ऐसे मामलों में, 50 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है और सफलता की दर बेहद कम होती है क्योंकि हृदय की हर धड़कन के साथ भारी फंगल बॉल बाहर आती है, जिससे फलस्वरूप लकवे का दौरा पड़ सकता है, गुर्दे या हाथ पैरों में समस्या हो सकती है.”

Advertisement

उन्होंने कहा कि महाधमनी (एओर्टा) रक्त को शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाती है और हर धड़कन के साथ फंगस का कोई न कोई घटक खून में जा रहा है और इसलिए शरीर के सभी हिस्सों में पहुंच रहा था. उन्होंने कहा, "हमने उसका वाल्व बदल दिया और तीन महीने बाद, इकोकार्डियोग्राफी के माध्यम से उसका मूल्यांकन किया, जिससे पता चला कि वाल्व ठीक काम कर रहा है, और फिलहाल शरीर में कोई संक्रमण नहीं है."

ये भी पढ़ें :

VIDEO:आज सुबह की सुर्खियां : 10 अगस्त, 2022

Featured Video Of The Day
Fire Breaks Out At Mahakumbh: महाकुंभ में लगी आग को बुझाने का काम जारी, कैसे हैं ताजा हालात?
Topics mentioned in this article