कांग्रेस के 'संकटमोचक' साबित होते रहे हैं डी के शिवकुमार, CM पद की रेस में हैं शामिल

शिवकुमार ने अपना पहला चुनाव सथानूर विधानसभा क्षेत्र से 1989 में लड़ा था जब वह सिर्फ 27 वर्ष के थे.

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बेंगलुरु:

कर्नाटक चुनाव में अपनी पार्टी के पक्ष में परिणाम से शनिवार को भावुक नजर आए कांग्रेस नेता डी के शिवकुमार न केवल 2023 के विधानसभा चुनाव में बल्कि अतीत में कई महत्वपूर्ण मौकों पर पार्टी के लिए संकटमोचक की भूमिका निभा चुके हैं. चुनावों से पहले राज्य भर में गहन प्रचार अभियानों के बाद जब नतीजे आए, तो वोक्कालिगा समुदाय से कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार शिवकुमार टेलीविजन कैमरों के सामने भावुक दिखे. मुख्यत: कृषि क्षेत्र से जुड़े वोक्कालिगा कर्नाटक में लिंगायतों के बाद दूसरा सबसे प्रभावशाली समुदाय है. गांधी परिवार के भरोसेमंद सहयोगी, आठ बार के विधायक शिवकुमार को पार्टी के लिए ‘‘संकटमोचक'' माना जाता है. वह 2002 में महाराष्ट्र में काफी सक्रिय थे, जब तत्कालीन विलास राव देशमुख नीत सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव जीता था.

महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार बचाने में निभाई थी अहम भूमिका

कांग्रेस के एक नेता ने याद करते हुए कहा, ‘‘जब देशमुख ने अविश्वास मत का सामना किया तो वह शिवकुमार के संपर्क में आए. एक संकटमोचक के रूप में शिवकुमार ने विश्वासमत की तारीख तक एक सप्ताह के लिए बेंगलुरु के बाहरी इलाके में अपने रिसॉर्ट में महाराष्ट्र के विधायकों को रखा. इस कदम ने देशमुख सरकार को बचा लिया.'' पार्टी के एक अन्य नेता के अनुसार, 2017 में गुजरात से राज्यसभा चुनाव में दिवंगत अहमद पटेल की जीत सुनिश्चित करने में भी शिवकुमार ने ‘‘महत्वपूर्ण'' भूमिका निभाई थी, जब उन्होंने गुजरात के कांग्रेस विधायकों को एक रिसॉर्ट में ठहराया.ॉ

ED के निशाने पर रहे हैं डीके शिवकुमार

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सितंबर 2018 में शिवकुमार, नयी दिल्ली में कर्नाटक भवन के एक कर्मचारी ए हनुमंथैया और अन्य लोगों के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज किया था. यह मामला कथित कर चोरी और हवाला लेन-देन के लिए बेंगलुरु की एक अदालत के समक्ष शिवकुमार और अन्य के खिलाफ दाखिल आयकर विभाग के आरोपपत्र पर आधारित था. आयकर विभाग ने शिवकुमार और उनके सहयोगी एस के शर्मा पर तीन अन्य आरोपियों की मदद से हवाला माध्यम से नियमित रूप से बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी को स्थानांतरण का आरोप लगाया है. आयकर विभाग और ईडी द्वारा कई छापे मारे गए और उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए. ईडी ने तीन सितंबर, 2019 को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गहन पूछताछ के बाद शिवकुमार को गिरफ्तार किया था. उन्हें 23 अक्टूबर, 2019 को जमानत मिली थी. ईडी ने 26 मई, 2022 को शिवकुमार के खिलाफ धन शोधन रोधी कानून के तहत आरोपपत्र दाखिल किया.

कर्नाटक के तीसरे सबसे अमीर उम्मीदवार हैं शिवकुमार

‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में 1,413 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ तीसरे सबसे अमीर उम्मीदवार हैं. कनकपुरा में 15 मई, 1962 को डोड्डालहल्ली केम्पे गौड़ा और गौरम्मा के घर जन्मे शिवकुमार शुरू से ही निष्ठावान कांग्रेसी रहे हैं. उन्होंने 1980 के दशक में छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और धीरे-धीरे पार्टी में आगे बढ़ते गए.

शिवकुमार ने अपना पहला चुनाव सथानूर विधानसभा क्षेत्र से 1989 में लड़ा था जब वह सिर्फ 27 वर्ष के थे. जब शनिवार को 2023 के विधानसभा परिणाम घोषित किए गए, तो रुंधे गले से शिवकुमार ने कहा, ‘‘मैं पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को इस जीत का श्रेय देता हूं. लोगों ने हममें विश्वास जताया और नेताओं ने हमारा समर्थन किया. यह सामूहिक नेतृत्व है और हमने मिलकर काम किया.''

मुख्यमंत्री पद की दौर में हैं शामिल

मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमुख दावेदार माने जा रहे शिवकुमार ने कहा, ‘‘मैंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से कहा था कि हम कर्नाटक जीतकर देंगे.'' वोक्कालिगा समुदाय से कांग्रेस के कद्दावर चेहरे ने कनकपुरा में भाजपा के वरिष्ठ नेता और छह बार के विधायक राजस्व मंत्री आर अशोक को हराकर अपनी जीत का सिलसिला कायम रखा.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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