केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने रविवार को विपक्षी दलों के उन आरोपों को खारिज कर दिया कि नए आपराधिक कानून लागू करने का फैसला लेने से पहले पर्याप्त विचार विमर्श नहीं किया गया. नए आपराधिक कानून एक जुलाई से लागू किए जाएंगे. मेघवाल ने कहा कि भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम कानून लागू किए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि नये कानूनों के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक प्रशिक्षण कार्यक्रम और बुनियादी ढांचे का विकास पहले से ही जारी है.
मेघवाल ने रविवार को ‘आपराधिक न्याय प्रणाली प्रदान करने में भारत का प्रगतिशील मार्ग' कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के दौरान कहा, 'समय पर, त्वरित और त्रुटिरहित न्याय प्रदान करने के लिए तीन नए कानून एक जुलाई से लागू होंगे.'
मेघवाल ने कहा, 'कुछ लोग दावा करते हैं कि उनसे परामर्श नहीं किया गया, यह गलत है. औपनिवेशिक कानूनों में बदलाव की मांग लंबे समय से चली आ रही है और यह प्रक्रिया बहुत पहले शुरू हो गई थी.'
मंत्री ने बताया कि सभी राज्यों से सुझाव मांगे गए थे, लेकिन केवल 18 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों ने ही जवाब दिया. उन्होंने कहा, ‘‘भारत के प्रधान न्यायाधीश, 16 उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों, पांच विधि अकादमियों और 22 विधि विश्वविद्यालयों ने भी अपने सुझाव दिए.''
मेघवाल ने कहा, 'हमने सभी सांसदों से संपर्क किया, लेकिन दोनों सदनों के केवल 142 सदस्यों ने ही जवाब दिया. देश भर के सभी विधायकों से भी सुझाव मांगे गए, लेकिन केवल 270 ने ही जवाब दिया. हमने व्यापक रूप से परामर्श किया, लेकिन सभी ने जवाब नहीं दिया.'
उन्होंने कहा, 'ये कानून चार वर्षों के गहन विचार-विमर्श के बाद तैयार किए गए. कोई परामर्श नहीं किए जाने के दावे झूठे हैं. गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में 58 बैठक हुईं और अच्छी तरह विचार विमर्श किया गया.'
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