भारतीय जनता पार्टी से निकाले गए दो पदाधिकारियों द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर विवादास्पद टिप्पणी को लेकर कई देशों द्वारा नाराजगी जताए जाने के कुछ दिनों बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि लोगों की संवेदनशीलता और समझ प्रभावित हुई है, लेकिन उन देशों ने इस बात की भी सराहना की कि टिप्पणी से भारत सरकार का कोई लेना-देना नहीं था. उन्होंने जोर देकर कहा कि जो कहा गया था वो बीजेपी का स्टैंड नहीं था और पार्टी ने इसे ‘बहुत मजबूत शब्दों में' स्पष्ट कर दिया था. साथ ही कार्रवाई भी की थी.
जयशंकर ने एक निजी चैनल के कार्यक्रम में इस विवाद को लेकर पूछे जाने पर कहा, ''न केवल खाड़ी के देश, बल्कि मैं कहूंगा कि (बयान पर) चिंता व्यक्त करने वाले दक्षिण-पूर्व एशिया के भी कुछ देशों ने इस बात की सराहना की कि यह (भारत) सरकार का स्टैंड नहीं था.'' जयशंकर ने कहा कि एक बार पार्टी ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी तो उन्हें उम्मीद है कि लोग इसे समझेंगे.
अपनी बात रखने की है जरूरत
विदेश मंत्री ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, ''ऐसे लोग होंगे जो बहती गंगा में हाथ धोना चाहेंगे. अंतरराष्ट्रीय संबंध बहुत ही प्रतिस्पर्धी खेल है, जो क्वींसबेरी नियमों द्वारा नहीं खेला जाता है. ऐसे लोग होंगे जो इससे अपना फायदा ढूंढने की कोशिश करेंगे.'' उन्होंने कहा, ''हमें (ऐसे मामले में) अपनी बात रखने की जरूरत है और हम ऐसा कर रहे हैं. यहां तक कि पिछले कुछ दिनों में, आप देख सकते हैं कि लोग समझते हैं कि भारत में सही तस्वीर क्या है.''
'मुद्दे को उस तरह से नहीं देखते'
यह पूछे जाने पर कि भारत को उन देशों द्वारा क्यों उपदेश दिया जाना चाहिए जो लोकतांत्रिक दृष्टि से इस मामले में कहीं नहीं टिकते, मंत्री ने कहा कि वह पूरे मुद्दे को उस तरह से नहीं देखते हैं. जयशंकर ने कहा, ''मैं इस मुद्दे को एक उपदेश के रूप में नहीं लूंगा. मुझे लगता है कि यह एक ऐसा मुद्दा था जहां लोगों की संवेदनशीलता और समझ प्रभावित हुई थी. इसलिए वे इसे व्यक्त कर रहे थे.''
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