"हम जियोफिजिकल सर्वे करना चाहते हैं"; धंसते जोशीमठ पर आपदा प्रबंधन विभाग

भूवैज्ञानिक डॉ. सरकार ने भी पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि वे पूरे जोशीमठ में सर्वे करना चाहते हैं. जबकि इस इलाके का "भौगोलिक सर्वेक्षण पहले ही शुरू हो चुका है. फिर एकत्र किए गए डेटा की व्याख्या की जाएगी. इसमें कुछ समय जरूर लगेगा.

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देहरादून:

उत्तराखंड का मशहूर कस्बा लगातार धंसता जा रहा है, जिस वजह से न यहां के बाशिंदों की जिंदगी संकट में है बल्कि इस जगह के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है. अब इस इलाके के बेहतर सर्वेक्षण के लिए आपदा प्रबंधन विभाग पूरे जोशीमठ में 10 स्थानों पर जियोफिजिकल सर्वे करने का लक्ष्य बना रहा है. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "जल निकासी विभाग ने जल निकासी योजना के लिए निविदा खोली है और हम देखेंगे कि काम कहां तक पहुंचा है."

उन्होंने कहा, "कैबिनेट में, यह निर्णय लिया गया कि हम टो ऐरिसन कटाव की दिशा में काम करेंगे. हमें अधिकारियों से एक समयरेखा प्राप्त करने और फिर लोगों को स्थानांतरित करने की दिशा में काम शुरू करने का निर्देश दिया गया." उन्होंने कहा कि चार कंपनियों ने जल निकासी अनुबंध के लिए बोली लगाई है और आवश्यक तकनीकी क्षमताओं वाली कंपनी को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा. उन्होंने कहा, "पहाड़ी इलाकों में घरों में दरारें आती हैं. लेकिन अगर बड़ी दरारें आ रही हैं, तो उचित कार्रवाई की जानी चाहिए. हमने अधिकारियों को भी निर्देश दिया है."

भूवैज्ञानिक डॉ. सरकार ने भी पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि वे पूरे जोशीमठ में भूभौतिकीय सर्वेक्षण करना चाहते हैं. जबकि इस इलाके का "भौगोलिक सर्वेक्षण पहले ही शुरू हो चुका है. फिर एकत्र किए गए डेटा की व्याख्या की जाएगी. इसमें कुछ समय जरूर लगेगा, क्योंकि मिट्टी को खोदना है और फिर प्रयोगशालाओं में भेजा जाता है. हम चाहते हैं कि यह सर्वेक्षण पूरे जोशीमठ में 10 स्थानों पर हो. हमें बेहतर परिणाम मिलते हैं,"  जोशीमठ, जिसे ज्योतिर्मठ के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड के चमोली जिले में एक शहर और एक नगरपालिका बोर्ड है.

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जो कि 6150 फीट (1875 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है. यह  जगह कई हिमालय पर्वत चढ़ाई अभियानों, ट्रेकिंग ट्रेल्स और बद्रीनाथ जैसे तीर्थ केंद्रों का प्रवेश द्वार है. उत्तराखंड के पहाड़ी शहर जोशीमठ में पिछले कुछ दिनों में जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है क्योंकि निवासियों ने अपने घरों में दरारों के लिए कार्रवाई की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं. इससे पहले शनिवार को सूत्रों ने बताया कि उत्तराखंड के जोशीमठ कस्बे के सिंहधार में दो और तीन जनवरी की मध्य रात्रि में कई मकान ढह गए. हालांकि इन घटनाओं में किसी की जान नहीं गई.

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राज्य मंत्रिमंडल ने जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना को देखते हुए प्रभावित परिवारों के लिए राहत के तौर पर शुक्रवार को 45 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की. कैबिनेट ने नवंबर 2022 से शुरू होने वाले छह महीने के लिए प्रभावित सभी लोगों के बिजली बिल माफ करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है, इसके अलावा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत प्रत्येक प्रभावित के दो सदस्यों को रोजगार देने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है. 

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