केरल में मां-पिता के बीच झगड़े के कारण मुश्किल में फंसे 12 दिन के बच्चे को दूध पिलाकर उसकी जान बचाने वालीं पुलिस अधिकारी एमआर रम्या का कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह संयोग से इस पेशे में आईं और स्कूल व कॉलेज के दिनों में वह शिक्षक बनना चाहती थीं. पुलिस के पेशे में अप्रत्याशित प्रवेश की तरह ही रम्या ने कभी यह भी नहीं सोचा होगा कि वह राज्य की पुलिस का सौम्य और मानवीय चेहरा बनेंगी और समाज में चारों तरफ तारीफ पाएंगी. कोझिकोड़ के चेवायूर थाने से जुड़ीं सिविल पुलिस अधिकारी (सीपीओ) रम्या हाल ही में उस समय चर्चा में आईं जब उन्होंने मां-पिता के बीच झगड़े के कारण मुश्किल में फंसे 12 दिन के बच्चे को दूध पिलाकर उसकी जान बचाई. केरल हाईकोर्ट के न्यायाधीश देवान रामचंद्रन और राज्य के पुलिस महानिदेशक अनिल कांत समेत कई प्रमुख हस्तियों ने इस नेक काम के लिए महिला अधिकारी की तारीफ की.
न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने रम्या को भेजे संदेश में कहा था, “आज आप पुलिस का सबसे अच्छा चेहरा बन गई हैं. एक शानदार अधिकारी और एक सच्ची मां- आप दोनों हैं. स्तनपान एक दिव्य उपहार है, जो केवल एक मां ही दे सकती है और आपने ड्यूटी निभाते हुए यह उपहार दिया. आपने हम सभी में, भविष्य में मानवता के जिंदा रहने की उम्मीद कायम रखी है.” हालांकि, रम्या ने कहा कि उन्हें कभी नहीं लगा कि उन्होंने कुछ असाधारण किया है क्योंकि उस स्थिति में वह एक पुलिस अधिकारी से ज्यादा एक महिला और मां थीं. रम्या ने कहा, “जब हम बच्चे की तलाश कर रहे थे, तब मैं मां और उससे जुदा हुए शिशु के बारे में सोच रही थी. मैं बस यही चाहती थी कि किसी तरह दोनों का मिलन हो जाए. इस बीच मैं अपने पति से बात कर रही थी और वह यह कहकर मुझे दिलासा दे रहे थे कि मुझे और मेरे साथियों को इस मिशन में पक्का कामयाबी मिली है.
घटना 29 अक्टूबर को हुई थी जब शिशु की मां ने कोझिकोड़ के चेवायूर थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें दावा किया गया कि उसका शिशु लापता है और पति से झगड़े का कारण वह उसे अपने साथ ले गया है. रम्या ने कहा कि पुलिस ने अंदाजा लगाया कि शिशु का पिता उसको लेकर बेंगलुरू जा सकता है, जहां वह काम करता है. इसके बाद वायनाड सीमा पर थानों को अलर्ट किया गया. राज्य की सीमा पर वाहनों की जांच के दौरान सुल्तान बथेरी पुलिस को शिशु और उसका पिता मिल गया. मां का दूध नहीं मिलने के कारण बच्चा थका हुआ लग रहा था, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया. वहां पहुंचकर पता चला कि शिशु का शुगर लेवल कम है. यह पता चलने के बाद चेवायूर पुलिस टीम में शामिल रम्या बच्चे को लाने वायनाड गईं और डॉक्टरों से कहा कि वह बच्चे को दूध पिलाना चाहती हैं, जिसके बाद उन्होंने शिशु को दूध पिलाया और उसकी जान बच गई.
कोझिकोड जिले के चिंगपुरम गांव की मूल निवासी रम्या अंग्रेजी भाषा और साहित्य में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर चुकी हैं. अपने कई दोस्तों की तरह, वह बी.एड पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद शिक्षिका बनना चाहती थीं. हालांकि, बी.एड पाठ्यक्रम की अवधि को अचानक दो साल के लिए बढ़ा दिए जाने से शिक्षक बनने का उनका सपना चकनाचूर हो गया क्योंकि परिवार का मानना था कि पाठ्यक्रम को पूरा करने और फिर नौकरी खोजने में लंबा समय लग सकता है.
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