जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने NDTV के खास बातचीत में माना कि बिहार में खुद चुनाव न लड़ना उनकी गलती थी. पीके ने कहा कि अगर उन्हें पहले से हार का अंदेशा होता, तो वह अपना धन, समय, ताकत और बुद्धि इस तरह दांव पर नहीं लगाते. प्रशांत किशोर ने कहा, 'अगर मुझे पता होता कि मैं हार रहा हूं, तो मैं इतना बड़ा रिस्क क्यों लेता? विधायक या सांसद ही बनना होता तो मैं कबका बन जाता. मैंने कभी खुद का सर्वे नहीं कराया, सब कुछ ब्लाइंड रखा. मेरी उम्मीद 12–15% वोट पाने की थी, लेकिन सिर्फ 3% ही मिले.'
पीके ने आगे कहा कि यह नतीजा उनके लिए आत्ममंथन का मौका है. उन्होंने बताया कि वह कुछ दिन गांधी आश्रम में मौन उपवास करेंगे, गांधी से प्रेरणा लेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे. उन्होंने साफ कहा, '3% वोट मिले… इसका मतलब यह नहीं कि मैं रुक जाऊंगा. मैं फिर से आगे बढ़ूंगा.'
'मैंने सोचा 3 साल में सफल हो जाएंगे, लेकिन...'
प्रशांत किशोर ने कहा कि मैंने 10 साल कहा है कि साढ़े तीन साल निकल गए, मेरी सोच थी 10वें साल में सफलता मिलेगी लेकिन मैं मान बैठा कि हम 3 साल में सफल हो जाएंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
रिजल्ट के बाद सो नहीं पाया हूं- प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने कहा, 'जब नतीजे आ रहे थे. बीजेपी-जेडीयू 200 पार जा रहे थे तो ये मेरे लिए बड़ा झटका था. प्रशांत किशोर ने कहा कि जब से रिजल्ट आया है मैं सो नहीं पाया हूं. जिस चीज के लिए ईमानदारी से कोशिश करते हैं और रिजल्ट आशा के अनुरूप नहीं आता है तो आपको निराशा होती है. असर पड़ा है, लेकिन निराशा से थक कर हारकर बैठने वाले लोग नहीं है.
'नीतीश सरकार ने वोट खरीदा है'
अपने पुराने वादे को दोहराते हुए प्रशांत किशोर ने कहा- जेडीयू 25 से ज्यादा सीटें लाने की हालत में नहीं थी. प्रशांत किशोर ने कहा, 'चुनाव को ध्यान से देखेंगे तो समझ आएगा कि पहली बार बिहार में हर विधानसभा में करीब 100-125 करोड़ रुपये सीधा पब्लिक को दिया है और उसमें 60-65 हजार लोगों को सीधा 10 हजार रुपये दिया है. सरकार ने वोट खरीदा है, लोग कह रहे हैं ये तो पहले से ही तय था. इसीलिए कल मैंने कहा कि अगर नीतीश कुमार ने हर विधानसभा सीट में 60-62 हजार महिलाओँ को चुनाव के दौरान पैसा दिया है. बिहार में जो हुआ है वो अप्रत्याशित है, सरकार ने चुनाव के दिन तक पैसे दिए हैं.














