मणिपुर में शांति बहाल करने का बातचीत ही एकमात्र रास्ता : किरेन रीजिजू

किरेन रिजिजू ने राज्य में दो समुदायों के बीच जारी जातीय संघर्ष के लिए उच्च न्यायालय के उस आदेश को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें मैतेई (Manipur Violence) लोगों को एसटी का दर्जा देने की सिफारिश की गई थी.

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मणिपुर के हालात पर किरेन रिजुजू.(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को कहा कि बातचीत ही जातीय हिंसाग्रस्त मणिपुर (Manipur Violence) में शांति बहाल करने का एकमात्र तरीका है और राज्य में हालात को सामान्य बनाने का प्रयास करना नरेन्द्र मोदी सरकार का अगला कदम होगा. किरेन रिजिजू ने पूर्वोत्तर राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी जातीय संघर्ष के लिए मणिपुर उच्च न्यायालय के उस आदेश को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें मैतेई लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की सिफारिश की गई थी. मणिपुर में हिंसा के दौरान कम से कम 219 लोगों की मौत हो चुकी है. 

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"मणिपुर में मैतेई और कुकी के बीच जातीय संघर्ष"

किरेन रिजिजू ने कहा कि मणिपुर में समस्या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र के खिलाफ विद्रोह नहीं बल्कि दो प्रमुख समुदायों मैतेई और कुकी के बीच जातीय संघर्ष है. उन्होंने 'पीटीआई-वीडियो' सेवा के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ''अगर कोई भी मणिपुर में शांति बहाल करने में मदद करना चाहता है तो पहले जाकर मैतेई और कुकी दोनों समुदायों से अपील करें कि वे हथियार न उठाएं. सशस्त्र संघर्ष से कोई समाधान नहीं निकलेगा. शांति बहाल करने और हालात को सामान्य बनाने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत ही एकमात्र समाधान है. मणिपुर में विकास बहाल करना हमारा अगला प्रयास होगा.''

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केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने कहा कि सरकार शांति बहाल करने की पूरी कोशिश कर रही है और प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर के साथ-साथ संसद से भी शांति बहाल करने की अपील की थी. अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले किरेन रिजिजू ने कहा कि जो लोग मणिपुर में शांति चाहते हैं, उन्हें दृढ़ता से कहना चाहिए कि संघर्षरत समूहों को हिंसा रोकनी चाहिए और एक-दूसरे से बात करनी चाहिए क्योंकि यही एकमात्र रास्ता है. उन्होंने कहा, ''केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) वहां (मणिपुर) चार दिन रहे, हमारे गृह राज्य मंत्री (नित्यानंद राय) 22 दिन तक वहां रहे और कई अधिकारी वहां थे.''

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मणिपुर की समस्या 'दुर्भाग्यपूर्ण'

किरेन रिजिजू ने राज्य में दो समुदायों के बीच जारी जातीय संघर्ष के लिए उच्च न्यायालय के उस आदेश को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें मैतेई लोगों को एसटी का दर्जा देने की सिफारिश की गई थी. उन्होंने कहा कि संघर्ष उस समय शुरू हुआ, जब उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर मैतेई को एसटी का दर्जा देने का निर्देश दिया.

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केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''क्या आपको नहीं लगता कि उच्च न्यायालय का यह अपने आप में एक अनोखा आदेश था? किसी समुदाय का आदिवासी या गैर-आदिवासी के रूप में निर्धारण करना सरकार का काम है. यह एक नीतिगत मामला है.'' उन्होंने कहा, ''जब उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि एक पक्ष को तीन महीने के भीतर एसटी का दर्जा दिया जाना चाहिए तो स्वाभाविक रूप से दूसरी तरफ से प्रतिक्रिया हुई, इसलिए झड़पें हुईं. अगर कोई कहता है कि मणिपुर में झड़प की वजह केंद्र है तो उसे इस तरह की टिप्पणी करने के लिए मूर्ख या सबसे दुर्भाग्यपूर्ण व्यक्ति कहा जाना चाहिए.'' उन्होंने कहा कि मणिपुर की समस्या 'दुर्भाग्यपूर्ण' है क्योंकि मोदी सरकार पूर्वोत्तर में शांति बहाल करने के प्रयास में जुटी है.

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मणिपुर की समस्या पर किरेन रिजिजू

उन्होंने कहा, ''मोदीजी ने पिछले 10 वर्षों में पूर्वोत्तर के लिए जो किया है, वह कांग्रेस द्वारा 60 वर्षों में किए गए कार्यों से 100 गुना अधिक है. फिर भी मणिपुर में एक घटना कांग्रेस, वामपंथियों और अन्य लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गई, उन्होंने एक पूरी पीढ़ी को बर्बाद कर दिया.'' मणिपुर उच्च न्यायालय ने 27 मार्च, 2023 को राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को एसटी की सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया था. इस निर्देश ने राज्य में मैतेई और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष को जन्म दिया. उच्च न्यायालय ने हालांकि 21 फरवरी, 2024 को अपने पिछले आदेश को संशोधित करते हुए 17 (3)वें पैरा को हटाने का निर्देश दिया, जिसमें मणिपुर सरकार को एसटी की सूची में मैतेई समुदाय को शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया गया था.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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