पूर्व सांसद धनंजय सिंह को अपहरण और रंगदारी मामले में 7 साल की सजा 

धनंजय सिंह वह वर्ष 2009 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जौनपुर से सांसद भी रह चुके हैं. हालांकि साल 2011 में बसपा अध्यक्ष मायावती ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोपों में पार्टी से निकाल दिया था.

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नई दिल्‍ली:

जौनपुर की अपर सत्र अदालत ने पूर्व सांसद और जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय महासचिव धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) को सात साल की सजा सुनाई है. उन्‍हें अपहरण और रंगदारी मांगने के मामले में जौनपुर कोर्ट ने कल दोषी करार दिया था. मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई, 2020 को जौनपुर के लाइनबाजार थाने में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके साथी विक्रम के खिलाफ अपहरण और रंगदारी मांगने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में आरोप लगाया गया था कि विक्रम ने अपने दो साथियों के साथ पहले उनका अपहरण किया और फिर उन्हें पूर्व सांसद धनंजय सिंह के आवास पर ले गया. 

अदालत के निर्णय पर धनंजय सिंह ने प्रतिक्रिया दी है. धनंजय सिंह ने कहा कि वह लोअर न्‍यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे. 

कोटसिंघल ने आरोप लगाया था कि वहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए धमकी देने के बाद रंगदारी मांगी. मुकदमा दर्ज होने के बाद इस मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह गिरफ्तार भी हुए थे. बाद में उन्होंने उच्च न्यायालय इलाहाबाद से जमानत हासिल की थी. 

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अपर सत्र न्यायाधीश शरद कुमार त्रिपाठी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम को दोषी करार दिया है. 

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वर्तमान में जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव धनंजय सिंह ने वर्ष 2002 में पहली बार रारी विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता था. 

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जौनपुर से रह चुके हैं सांसद 

वह वर्ष 2009 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जौनपुर से सांसद भी रह चुके हैं. हालांकि साल 2011 में बसपा अध्यक्ष मायावती ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोपों में पार्टी से निकाल दिया था. धनंजय ने वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा था, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था. वह वर्ष 2017 और 2022 का विधानसभा चुनाव भी लड़े, लेकिन जीत नहीं सके. 

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धनंजय ने इस बार भी जौनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का इरादा जताया था. उन्होंने दो मार्च को 'एक्स' पर अपनी पोस्ट में कहा था, ‘‘साथियों! तैयार रहिए...लक्ष्य बस एक लोकसभा 73, जौनपुर.''

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