'हमने श्रीराम मंदिर का भूमिपूजन देखा है और उसका शिखर भी देखेंगे'- संतों के मंच से बोले देवेंद्र फडणवीस

देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अंग्रेजों को पता था कि हमारी संस्कृति की जड़ें काफी गहरी हैं इसलिए उन्होंने हमारी जड़ों पर प्रहार करने का प्रयास किया पर हमारी परंपरा अब भी अक्षुण्ण है. हमारी सनातन संस्कृति में धर्म आचरण माना जाता है. जिन्हें सनातन संस्कृति का पता नहीं, वह यह बात नहीं समझ सकता. हमारा संविधान भी उसी तरह का एक प्रारूप है.

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समारोह में जुटे देशभर के संत-महात्मा. 
मुंबई:

श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि जी महाराज के संन्यस्त जीवन की स्वर्ण जयंती पर आयोजित समारोह में बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की. इस दौरान उन्होंने मंच से कहा कि हमने श्रीराम मंदिर का भूमिपूजन देखा है और उसका शिखर भी देखेंगे', डीएनए एक्सपर्ट बताते हैं, हमारी संस्कृति सबसे पुरानी है! पहले नेता मंदिर जाने से डरते थे. लेकिन हमारे प्रधानमंत्री के मंदिर जाने के बाद से केजरीवाल हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे. ममता दीदी चंडी पाठ करने लगीं. संत परंपरा आम जनमानस के विचारों की शुद्धता को समाप्त होने से बचाने के लिए है.

देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अंग्रेजों को पता था कि हमारी संस्कृति की जड़ें काफी गहरी हैं इसीलिए उन्होंने हमारी जड़ों पर प्रहार करने का प्रयास किया पर हमारी परंपरा अब भी अक्षुण्ण है. हमारी सनातन संस्कृति में धर्म आचरण माना जाता है. जिन्हें सनातन संस्कृति का पता नहीं, वह यह बात नहीं समझ सकता. हमारा संविधान भी उसी तरह का एक प्रारूप है. सामान्य इंसान के जीवन से विचारों की शुद्धता समाप्त होने से बचाने के लिए संत परंपरा है. मुंबई स्थित संन्यास आश्रम में 400 वर्ष पुराने सूरतगिरि बंगला, हरिद्वार के एकादश पीठाधीश्वर श्री विश्वेश्वरानंद गिरि जी महाराज का अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया. इस समारोह में देशभर के कई संत-महात्मा जुटे. 

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इसी समारोह संबोधित करते हुए फडणवीस ने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि महाराज जी के अभिनंदन का मौका मिला और संतों का आशीर्वाद भी. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रो. शिंदे और प्रो. चावड़ा  जैसे जानकारों ने इसमें बड़ा योगदान दिया. हर भारतीय का डीएनए-हेप्लो ग्रुप एक है. हम सब एक धरोहर को लेकर जी रहे हैं. दुनिया की सबसे पुरानी कृति ऋग्वेद है. अब तो कार्बन डेटिंग से पता चला है कि सरस्वती नदी के साक्ष्य हैं. अब हमारे शोध दुनिया भर के जरनल छाप रहे हैं. आद्यशंकराचार्य जी की परंपरा के संवाहक महाराज जी को ईश्वर दीर्घायु करें.

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