भारत में बहुत तेज है डिजिटल पेमेंट के विकास की रफ्तार, जानें 2029 तक कितना होगा भुगतान

भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली यूपीआई को भारत के राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने विकसित किया है. भारत में यूपीआई से लेनदेन की शुरुआत 11 अप्रैल 2016 को शुरू हुई थी. साल 2022 में पूरी दुनिया में हुए डिजिटल भुगतान का अकेले 46 फीसदी भारत में ही हुआ.

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नई दिल्ली:

भारत में पिछले सालों में हुए बदलाव में डिजिटल पेमेंट में हुआ बदलाव सबसे प्रमुख है. आज देश के किसी भी कोने में आप बड़े से बड़े मॉल या शॉपिंग काम्पलेक्स से लेकर चाय के ठेले तक में आप अपने मोबाइल से भुगतान कर सकते हैं.इसे आसान बनाया है यूपीआई ने. एक अनुमान के मुताबिक 2028-29 तक यूपीआई से होने वाला भुगतान बढ़कर 439 अरब रुपये हो जाएगा.यह कुल खुदरा डिजिटल भुगतान का 91 फीसदी होगा. अभी खुदरा भुगतान में यूपीआई का योगदान करीब 80 फीसदी का है. भारत में यूपीआई का विकास करने वाले संगठन के मुताबिक जून में इससे 14.04 अरब लेन-देन हुए थे. उसका अनुमान है कि अगले 10-15 सालों में यह बढ़कर 100 अरब तक हो सकता है. 

कितने करोड़ का होगा डिजिटल पेमेंट

यह अनुमान पीडब्ल्यूसी इंडिया की एक रिपोर्ट 'द इंडियन पेमेंट्स हैंडबुक-2024-29' में लगाया गया है.इससे पहले मैनेजमेंट कंपनी क्रेनी और अमेजन पे 'हाऊ अरबन इंडिया पे'के नाम से एक साझा रिपोर्ट जारी की थी. इसमें अनुमान लगाया गया था कि 2030 तक डिजिटल पेमेंट 700 करोड़ रुपये का हो जाने का अनुमान लगाया गया था. 

पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के डिजिटल भुगतान परिदृश्य में पिछले आठ साल में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. उद्योग का अनुमान है कि मात्रा में तीन गुना से अधिक विस्तार होगा. डिजिटल भुगतान 2023-24 के 159 अरब बढ़कर से वित्त वर्ष 2028-29 तक 481 अरब तक हो जाने का अनुमान है.

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यूपीआई से भुगतान की रफ्तार

मूल्य के संदर्भ में भुगतान लेनदेन बाजार की वृद्धि दोगुनी होने की उम्मीद है. यह इस अवधि में 265 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 593 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगी. पीडब्ल्यूसी इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यूपीआई ने साल-दर-साल 57 फीसद की लेन-देन मात्रा के साथ अपनी उल्लेखनीय वृद्धि जारी रखी है.

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रिपोर्ट के मुताबिक,''वित्त वर्ष 2023-24 में, कुल लेन-देन की मात्रा 131 अरब से थोड़ी अधिक थी.इसके 2028-29 तक 439 अरब तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया है. यूपीआई अब भारत में कुल खुदरा डिजिटल भुगतान का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है. साल 2028-29 तक इसके 91 फीसदी तक योगदान देने की उम्मीद है. 

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क्रेडिट कार्ड रखने वालों की संख्या बढ़ी

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में क्रेडिट कार्ड में जबर्दस्त वृद्धि हुई है. इस दौरान 1.6 करोड़ से अधिक नए कार्ड जोड़े गए हैं.नए कार्ड जुड़ने के साथ,उद्योग ने क्रमशः लेन-देन की मात्रा और मूल्य में क्रमश: 22 फीसदी और 28 फीसद की बढ़ोतरी देखी गई है.रिपोर्ट में 2028-29 तक क्रेडिट कार्ड की संख्या पढ़कर 20 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया है.वहीं दूसरी ओर, कार्डधारकों की प्राथमिकताओं में बदलाव के कारण डेबिट कार्ड में लेन-देन की मात्रा और मूल्य दोनों में गिरावट आई है. 

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भारत में डिजिटल भुगतान की शुरुआत

भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली यूपीआई को भारत के राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने विकसित किया है. भारत में यूपीआई से लेनदेन की शुरुआत 11 अप्रैल 2016 को शुरू हुई थी. साल 2022 में पूरी दुनिया में हुए डिजिटल भुगतान का अकेले 46 फीसदी भारत में ही हुआ था. यूपीआई के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जून में लेनदेन की संख्या 13.89 अरब थी. इससे पहले मई में यह संख्या 14.04 अरब थी. इस बीच भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) दिलीप अस्बे ने उम्मीद जताई है कि यूपीआई से होने वाले लेन-देन की संख्या अगले 10 से 15 साल में 100 अरब तक हो सकती है.उनका मानना है कि इस आंकड़े को इससे पहले भी छुआ जा सकता है. 

वहीं क्रेनी और अमेजन पे की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में खुदरा लेन-देन के लिए डिजिटल भुगतान वित वर्ष 2023-24 में बढ़कर 3.6 खरब डॉलर हो गया है. यह वित्त वर्ष 2017-18 में यह तीन अरब डॉलर का था.इस ऑनलाइन सर्वे में देश के 120 शहरों में छह हजार से अधिक लोगों की राय ली गई थी.इनमें से एक हजार से अधिक व्यापारियों ने कहा था कि 69 फीसदी लेनदेन डिजिटल तरीके से होता है. 

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