अरुणाचल प्रदेश में पहली बार अतंरराष्ट्रीय मेराथन रेस आयोजित कराई घी. ये रेस भारत-चीन बार्डर के नज़दीक मेचुका गांव में आयोजित हुई. इस मौक़े पर अरुणाचल प्रदेश के पर्यटन मंत्री पीडी सोना ने कहा कि कि अरुणाचल प्रदेश के कई इलाक़ों का नाम बदलना चीन का महज पॉलिटिकल स्टंट है. हम इसकी परवाह नहीं करते हैं. उन्होंने बताया कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का यह पहला चरण है. इस प्रोग्राम से बॉर्डर से सटे इलाकों में विकास हो रहा है.
इसका असर देखने को मिल रहा है कि अब बार्डर के गांवों में बाहर गए लोग वापस आ रहे हैं. लेकिन अगर 10-20 साल पहले यही कार्यक्रम होता तो इन इलाकों का और ज्यादा विकास हो सकता था. उन्होंने कहा कि अरुणाचल के लोग बाक़ी राज्यों से ज़्यादा देश भक्त हैं.
चीन हमेशा अरुणाचल को क्लेम करता है लेकिन यहां का कल्चर भारतीय सरकार के प्रति यहां के लोगों का समर्पण दिखाता है. चीन के बोलने से कुछ नहीं होता अरुणाचल प्रदेश के लोगों को भारतीय होने पर गर्व है. हालांकि, सरहद के उस पार यानी चीन अपने क्षेत्र में बहुत कुछ कर रहा है. वहां इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं, बुलेट ट्रेन आ गया इंटरनेट का ज़माना है. लेकिन अब कुछ साल से भारत सरकार इन इलाकों के लिए भी काफी कुछ कर रही है. ऐसा विकास हो रहा है जिसके बारे में किसी ने कभी सोचा नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि सड़कें बन रही है गांवों का विकास हो रहा है तो आने वाले कुछ सालों में इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा. पहली बार इंटरनेशनल मैराथन कराकर हमने अरुणाचल प्रदेश की वैधता को साबित किया है.इस तरह के इंटरनेशनल इवेंट कराकर हम बदलाव ला सकते हैं.सरकार और सेना को चीन बार्डर तक स्थानीय लोगों को प्रवेश देना चाहिए. जहां राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है तो स्थानीय लोग भी बहुत ज़्यादा इसको लेकर संवेदनशील हैं. बार्डर तक स्थानीय लोगों की पहुंच को आसान बनाने के लिए हमारी सेना से भी बातचीत होती रहती है. अब सरकार और सेना की सोच भी बार्डर को लेकर बदल रही है. बार्डर तक अब स्थानीय लोगों का ज़्यादा आना जाना हो रहा है ये हमारे लिए बहुत अच्छा है.