वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कांग्रेस की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार पर वर्ष 2005 के देवास-एंट्रिक्स सौदे (Devas-Antrix Deal) में 'धोखाधड़ी' का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा कि सरकार देवास मल्टीमीडिया के परिसमापन को सही ठहराने के उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के फैसले के आधार पर विदेशों में अपनी परिसंपत्तियों की जब्ती को चुनौती देगी.
सीतारमण ने एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के खिलाफ कड़े तेवर अपनाते हुए कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाली संप्रग सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आरक्षित एस-बैंक स्पेक्ट्रम देवास मल्टीमीडिया (Devas Multimedia) को देकर देश के लोगों के साथ धोखाधड़ी की थी.
उन्होंने उच्चतम न्यायालय के 17 जनवरी को आए फैसले के कुछ अंश उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘यह कांग्रेस का कांग्रेस के लिए और कांग्रेस द्वारा किया गया फरेब है.'' इस फैसले में देवास मल्टीमीडिया के परिसमापन के आदेश को इस आधार पर बरकरार रखा गया है कि इसे धोखाधड़ी से अंजाम दिया गया था.
संप्रग सरकार के दौरान वर्ष 2005 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक इकाई एंट्रिक्स और देवास के बीच स्पेक्ट्रम उपयोग को लेकर करार हुआ था. इसके जरिये मोबाइल फोनधारकों को मल्टीमीडिया सेवाएं मुहैया कराई जानी थी.
सीतारमण ने दावा किया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की जानकारी के बगैर ही एंट्रिक्स को इस सौदे के तहत एस-बैंड के स्पेक्ट्रम देने पर हामी भरी गई थी. उन्होंने कहा कि विवाद बढ़ने पर संप्रग सरकार ने छह साल बाद इस सौदे को निरस्त किया, लेकिन देवास की तरफ से शुरू की गई मध्यस्थता कार्यवाही से निपटने की कोशिश नहीं की.
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार अब करदाताओं के पैसे बचाने के लिए हर अदालत में लड़ रही है अन्यथा यह राशि मध्यस्थता फैसले के भुगतान में चली जाती, जो देवास ने सौदे को रद्द करने पर जीता है.''
उनकी यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब देवास के शेयरधारकों ने 1.29 अरब डॉलर की वसूली के लिए विदेशों में भारतीय संपत्तियों को जब्त करने के प्रयास तेज कर दिए हैं. देवास को इस धनराशि की भरपाई का आदेश अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरणों ने दिया था.
देवास को पेरिस में भारतीय संपत्तियों को जब्त करने के लिए फ्रांसीसी अदालत ने आदेश दिया है और वह कनाडा में भी एयर इंडिया की संपत्ति जब्त करने की मांग कर रही है.
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार अब उच्चतम न्यायालय के इस आदेश को आधार बनाते हुए विदेशों में भारतीय संपत्तियों की जब्ती को चुनौती देगी.
सीतारमण ने एंट्रिक्स और देवास के बीच 2005 में हुए सौदे पर कहा कि यह देश के लोगों के साथ, देश के साथ धोखाधड़ी थी. उन्होंने कहा कि एस-बैंड स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल सिर्फ रक्षा उद्देश्यों के लिए किया जाता है, और उसे थोड़े से धन के बदले दे दिया गया. वित्त मंत्री ने कहा कि देवास ने उन बातों को पूरा करने का वादा किया, जिन पर उसका अधिकार भी नहीं था.
यह सौदा 2011 में इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम की नीलामी धोखाधड़ी में हुई थी और सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य सामाजिक उद्देश्यों के लिए एस-बैंड उपग्रह स्पेक्ट्रम की जरूरत थी.
इसके बाद देवास मल्टीमीडिया ने इंटरनेशनल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) में फैसले के खिलाफ मध्यस्थता कार्रवाई शुरू की. इसके अलावा देवास के निवेशकों द्वारा दो अन्य मध्यस्थता कार्रवाई भी शुरू की गईं. भारत को तीनों मामलों में हार का सामना करना पड़ा और नुकसान की भरपाई के लिए कुल 1.29 अरब डॉलर का भुगतान करने को कहा गया.