प्रदूषण संकट और पराली जलाने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार और सख्ती के बावजूद पंजाब सरकार किसानों को पराली जलाने से नहीं रोक पा रही है. यही वजह है कि दिल्ली-एनसीआर इलाके में प्रदूषण का स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ ट्रॉपिकल मेटेरियोलॉजी के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर इलाके में प्रदूषण का स्तर 24 नवम्बर तक बहुत खराब (Very Poor) केटेगरी में बने रहने का अंदेशा है.
सुप्रीम कोर्ट के सख्त दिशानिर्देश के बाद भी पंजाब के कई इलाकों में अब भी किसान पराली जला रहे हैं. पंजाब पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सख्ती बढ़ाई है, लेकिन इसके बावजूद पंजाब सरकार के मुताबिक मंगलवार को पराली जलाने की 1776 घटनाएं दर्ज़ की गईं.
पंजाब के स्पेशल डीजीपी अर्पित शुक्ला ने कहा, "जहां तक स्टबल बर्निंग का सवाल है, पूरे पंजाब में रेड अलर्ट जारी किया गया है, सारे DSPs और SHOs को कहा गया है कि वो सरपंचों और किसानों को समझाएं कि इसका असर सिर्फ शहरों में नहीं उनके परिवारों, बच्चों के लिए भी नुकसानदायक है. अगर कोई नहीं समझता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. FIR किया जा रहा है, फाइन भी किया जा रहा है. फ्लाइंग स्क्वाड्स बनाए गए हैं, गश्त बढ़ाई गई है."
हरियाणा के फतेहाबाद ज़िले में स्थानीय पुलिस अधिकारी किसानों से खेतों में बहस करते दिखे, उन्हें पराली जलाने से रोकने की कोशिश भी की. लेकिन प्रशासन की सख्ती के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं नहीं रुक रही हैं.
दरअसल सरकारी आकड़ों के मुताबिक पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले कुछ दिनों में बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है. 11 नवम्बर को पराली जलने की घटनाएं घटकर 106 रह गई थीं, जो इस मंगलवार को बढ़कर 1700 के भी पार चली गईं.
प्रदूषण संकट पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद कैबिनेट सचिव ने पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों को स्पष्ट दिशानिर्देश दिया था कि वे अपने राज्य में पराली जलाने को पूरी तरह से रोकने के लिए सख्ती से पहल करें, जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, डिप्टी कमिश्नर, एसएसपी और SHO स्तर के अधिकारियों की जवाबदेही भी तय करें. लेकिन प्रशासन की कोशिशों के बावजूद पंजाब सरकार के मुताबिक मंगलवार को पराली जलाने की 1776 घटनाएं दर्ज़ की गईं. यही वजह है कि दिल्ली-एनसीआर इलाके में प्रदूषण का स्तर बना हुआ है.
TERI के एसोसिएट फैलो कन्हैया लाल कहते हैं, "किसानों के पास पराली जलाने के अलावा और कोई दूसरा इकनोमिक विकल्प उपलब्ध नहीं है. खेत को बहुत कम समय में तैयार करना होता है. खासकर आलू और मटर की फसल को जल्दी रोपना होता है. इसीलिए किसान खेत तैयार करने के लिए पराली जलाने को सबसे आसान तरीका समझते हैं".
ऐसे में दिल्ली-एनसीआर इलाके में बढे हुए प्रदूषण से राहत की उम्मीद फिलहाल दिखाई नहीं दे रही है. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेरियोलॉजी के मुताबिक 18 नवम्बर तक दिल्ली-एनसीआर इलाके में प्रदूषण "Very Poor" केटेगरी में बना रहेगा. उसके छह दिन बाद तक भी यह संकट जारी रहने का अंदेशा है.